श्रीनगर के 700 साल पुराने मंदिर में एक बार फिर से सुनाई देंगी घंटियों की आवाज, जानिए क्या है प्लान?
श्रीनगर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत कश्मीर के विभिन मंदिरों, मस्जिदों, दरगाहों और सूफी संतों की जियारतो को किया जा रहा है रेनोवेट।
Mangleshwar Bhairav Mandir: ये तस्वीर है जम्मू कश्मीर के श्रीनगर स्थित मंगलेश्वर भैरव मंदिर (Mangleshwar Bhairav Temple) की। ये मंदिर 700 साल पुराना बताया जा रहा है। इस मंदिर से लाखों कश्मीरी पंडितों की आस्था जुड़ी हुई है। लेकिन 1990 के दशक में जैसे ही कश्मीर में मिलिट्री का दौर शुरू हुआ, कश्मीरी पंडितों ने यहां से पलायन करना शुरू कर दिया। और फिर वक़्त गुजरने के साथ-साथ सुबह और शाम मंदिरों में बजने वाली घंटी भी खामोश हो गई। फिर धीरे-धीरे मंदिरों की हालत खंडहर में तब्दील होने लगी। इन मंदिरों में कई प्राचीन काल के ऐतिहासिक मंदिर भी शामिल थे। लेकिन अब इन मंदिरों को फिर से आबाद करने के लिए जम्मू कश्मीर सरकार ने एक बुहत बड़ा कदम उठाया है। खंडहर में तब्दील हुई इन मदिरों की शक्ल और सूरत को फिर से बहाल करने के लिए कई मंदिरों को रेनोवेट करने का काम शुरू किया गया है। इन मंदिरों में ये मंगलेश्वर मंदिर भी शामिल है। जिससे 700 साल पुराने उससे आर्किटेक्ट डिजाइन पर दोबारा तैयार किया जा रहा है।
मंदिर के डिज़ाइन और आर्किटेक्ट में नहीं होगा कोई बदलाव
श्रीनगर के इस भैरव मंदिर का निर्माण पिछले एक महीने से चल रहा है। इस मंदिर में करीब ४० मजदूर दिन रात काम कर रहे हैं। खास बात ये है की इस मंदिर में पुराने जमाने के मटेरियल जैसे चूना और महाराजा ईंट और कश्मीर की लकड़ी पर कश्मीर की पहचान खातम्बन्ध की नकसी की जा रही है। और ये मंदिर 1.62 लाख लागत से दोबारा तैयार किया जा रहा है।
700 साल पुराने तर्ज पर मंदिर को किया जा रहा है तैयार
इस मंदिर को उसी रंग रूप में तैयार करने वाले आर्किटेक्ट मोहम्मद सलीम ने इंडिया टीवी से बात करते हुए कहा कि इस मंदिर में पिछले एक महीने से काम चल रहा है और जिस तर्ज पर ये बना था उसी तर्ज पर ये रेनोवेट किया जा रहा है और जो मटेरियल ७०० साल पहले इस्तेमाल किया गया है हम उसी मटेरियल का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस मंदिर के निर्माण के लिए तकरीबन 1.62 लाख की लागत लगेगी और इसका काम एक महीने में मुकम्मल होगा। सलीम का ये भी कहना है की मंदिर के साथ-साथ हमने कई मस्जिद गिरचागार और और दरगाह रेनोवेट किए हैं और हमें काफी ख़ुशी होती है क्योंकि इन जगहों से लोगों की भावना जुड़ी होती है।
मंदिर के निर्माण से यहां के मुसलमान हैं काफी खुश
वहीं इस मंदिर का निर्माण करने वाले कांट्रेक्टर शौकत अहमद ने कहा, 'हम चाहते हैं की इस मंदिर का काम जल्दी खत्म हो और आने वाले त्योहारों में लोग यहां आए और यहां प्राथना कर सकें। इस मंदिर का काम पुराने तर्ज़ पर किया जा रहा और इस काम के लिए एक्सपर्ट कारीगरों की मदद ली जा रही है। इस बीच सरकारी अधिकारियों का कहना है कि मंदिर के निर्माण से यहां के मुसलमान काफी खुश है और चाहते हैं की इस मंदिर का काम जल्दी मुकमल हो जाए और यहां का आपसी भाईचारा भी लौट आए। हम भी चाहते हैं की लोग यहां आए और यहां प्राथना करें।
करीब 15 ऐतिहासिक मंदिरों को किया गया रेनोवेट
आपको बता दें की श्रीनगर स्मार्ट सिटी के तहत कश्मीर के प्राचीन और ऐतिहासिक धार्मिक स्थलों को जिसमें दरगाह, मस्जिदे, खानकाह और कश्मीर के प्राचीन मंदिर शामिल हैं उन्हें दोबारा से रेनोवेट किया जा रहा है। अब तक करीब 15 ऐतिहासिक मंदिरों को रेनोवेट किया गया है जबकि घाटी में मंदिरों की संख्या 952 है जिसमें से कुल 212 मुकम्मल तौर पर तैयार किए जा चुके हैं। सरकार की कोशिश है की 1990 के दशक से अब तक जितने भी मंदिर खंडहर में तब्दील हो चुके हैं उन्हें जल्द से जल्द रेनोवेट किया जा सके ताकि कश्मीरी पंडित एक बार फिर से इन मंदिरों में पूजा अर्चना कर पाएं।
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