आकाशमंडल में स्थित 27 नक्षत्रों में से 20वां पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र है। इस नक्षत्र के स्वामी शुकाचार्य हैं । साथ ही इस नक्षत्र में जल की उपासना भी बतायी गई है और जल के देवता वरूण देव हैं। लिहाजा आज के दिन जल के व्यर्थ उपयोग से वरूण देव का दोष लगता है। अगर राशि की बात करें तो पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र की राशि धनु है। इसका प्रतीक चिन्ह हाथ के पंखे को माना जाता है, जबकि इसका संबंध जलवेतस के पेड़ से बताया गया है। जलवेतस को केन के नाम से भी जाना जाता है, इसे फर्नीचर आदि बनाने के काम में लिया जाता है। लिहाजा पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में जन्मे जातको को आज के दिन जलवेतस, यानी केन के पेड़ की उपासना करनी चाहिए और हाथ जोड़कर नमस्कार करना चाहिए | आज ऐसा करने से आपको शुभ फलों की प्राप्ति होगी.
पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति उत्साही होते हैं। यह हर कार्य को बहुत ही रूचि के साथ करते हैं। इसके साथ ही यह कर्मठ और पराक्रमी भी होते हैं। यदि इनको कोई काम बताया जाए तो यह मेहनत के साथ करते हैं। इस नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति को पराजय बहुत तकलीफ देती है। यह लोग विजय के अभिलाषी होते हैं और व्यवहार से सौम्य और सहयोगी होने के कारण यह अपने लक्ष्य तक पहुंच जाते हैं। इन लोगों में आत्मबल गजब का होता है। इनको कोई भी कठिन कार्य दिया जाए और पूछा जाए कि यह कार्य आप कर सकते हैं तो निःसंकोच इनका जवाब होता है कि हां मैं कर सकता हूं। इस नक्षत्र वालों के अंदर कठिन परिस्थितियों में अपने आप को तपाते हुए लक्ष्य तक पहुंचने की अद्भुत शक्ति होती है और यही विश्वास इन्हें अजेय बनाता है। इनके स्वभाव की सबसे अच्छी खूबसूरती है कि यह लोग निराश जल्दी नहीं होते हैं। विषम परिस्थिति में भी इनके अंदर एक आशा सदैव बनी रहती है।
(आचार्य इंदु प्रकाश देश के जाने-माने ज्योतिषी हैं, जिन्हें वास्तु, सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का लंबा अनुभव है। इंडिया टीवी पर आप इन्हें हर सुबह 7.30 बजे भविष्यवाणी में देखते हैं)