Guru Tegh Bahadur Shaheedi Diwas 2023: ...जब धर्म की रक्षा के लिए शहीद हो गए थे सिखों के 9वें गुरु, पढ़ें गुरु तेग बहादुर की शौर्य गाथा
Shaheedi Diwas 2023: आज गुरु तेग बहादुर जी का शहीदी दिवस है। आज ही के दिन मुगल शासक औरंगजेब ने उनका सिर कटवा दिया था।
Guru Tegh Bahadur Shaheedi Diwas: आज, 24 नवंबर को गुरु तेग बहादुर की पुण्यतिथि है। इसी दिन उनकी मृत्यु हुई थी। सिखों के 9वें गुरु तेग बहादुर जी ने धर्म की रक्षा के लिए अपने जीवन को कुर्बान कर दिया था। वे अपनी आखिरी सांस तक धर्मांतरण के खिलाफ लड़ते रहे हैं। इस्लाम नहीं कबूलने की वजह से औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर जी का सिर कटवा दिया था। तेग बहादुर जी की शौर्य गाथा आज भी सिख समुदाय और अन्य धर्म के लोगों को काफी प्रेरित करती है। वे सदैव अन्याय, जुल्म, अंधविश्वास के खिलाफ और मानव अधिकारों के लिए लड़ते रहे थे। आज दिल्ली का यह गुरुद्वारा गुरु तेग बहादुर जी शहादत के लिए ही जाना जाता है।
गुरु तेग बहादुर जी की शौर्य गाथा
गुरु तेग बहादुर जी को 'हिंद की चादर'के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने अपना सारा जीवन मानवीय मूल्यों और सिद्धांतों की रक्षा के लिए समर्पित कर दिया था। कहा जाता है कि मुगल बादशाह औरंगजेब ने तेग बहादुर जी पर इस्लाम धर्म को कबूलने के लिए काफी मजबूर किया था लेकिन इसके बावजूद उन्होंने इस्लाम को स्वीकार नहीं किया। गुरु तेग बहादुर जी के साहस को देख कर औरंगजेब तिलमिला गया और गुरु तेग बहादुर जी से कहा कि वह इस्माल और मौत में से किसी एक का चुनाव कर लें। लेकिन उन्होंने मौत को स्वीकार करना मंजूर किया लेकिन इस्माल को नहीं अपनाया। तब औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर जी का सिर धड़ से अलग करवा दिया। उन्होंने अपने धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहूति दे दी लेकिन औरंगजेब के सामने अपना सिर नहीं झुकाया। गुरु तेग बहादुर जी की शहादत की याद में ही आज के दिन शहीदी दिन मनाया जाता है। इस दिन गुरु तेग बहादुर जी की वीरता की गाथा सुनी और सुनाई जाती है।
शीश गंज गुरुद्वारा
दिल्ली का शीश गंज गुरुद्वारा 9 ऐतिहासिक गुरुद्वारों में से एक माना जाता है। इस गुरुद्वारे का नाम शीश गंज इसलिए पड़ा क्योंकि इसी जगह पर गुरु तेग बहादुर जी की शहादत हुई थी। कहते हैं कि इस जगह पर तेग बहादुर जी की मृत्यु हुई थी तब कोई इतनी साहस नहीं जुटा सका कि उनके शरीर को वहां से ले जा सकें। तब गुरु तेग बहादुर के चेले उनके शरीर और कटे सिर को लेकर गए। उनके शरीर को आनंदपुर साहिब ले जाया गया जहां आज गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब स्थित है। बता दें कि गुरु तेग बहादुर जी ने आनंदपुर साहिब नाम के शहर बसाया था। वहीं जहां उनकी हत्या की गई वहां बाद में गुरुद्वारा शीश गंज साहिब नाम से सिख पवित्र स्थानों में बदल दिया गया।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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