घर के मंदिर में गरुड़ घंटी ही क्यों बजाते हैं? कितने प्रकार की होती है घंटी, जानें सबका महत्व
आपके घर में अगर पूजा स्थल है तो वहां गरुड़ घंटी अवश्य होगी। लेकिन आप जानते हैं कि घर के मंदिर में गरुड़ घंटी क्यों रखी जाती है, और घंटियां कितने प्रकार की होती हैं? अगर नहीं तो आज अपने लेख में हम आपको इसी बारे में विस्तार से बताएंगे।
हिंदू धर्म के सभी शुभ-मांगलिक कार्यों में घंटी का इस्तेमाल किया जाता है। मान्यताओं के अनुसार, बिना घंटी का प्रयोग किये धार्मिक कार्य पूरे नहीं होते। घंटी की ध्वनि को नकारात्मकता को दूर करने वाला भी माना जाता है। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि, घंटियां कितने प्रकार की होती हैं और घर के मंदिर में हमेशा गरुड़ घंटी का ही इस्तेमाल क्यों किया जाता है।
घंटियों के प्रकार
मुख्यत: घंटियां 4 प्रकार की होती हैं। जिनमें सबसे छोटी घंटी होती है गरुड़ घंटी, और सबसे बड़ी जो घंटी होती है उसे बड़े आकार के कारण घंटा भी कहा जाता है। घंटा अक्सर बड़े मंदिरों में देखने को मिलता है। इसके अलावा दो घंटियां होती हैं द्वार घंटी और हाथ घंटी। इन घंटियों का महत्व क्या है आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
गरुड़ घंटी
इस घंटी का इस्तेमाल हम घर के पूजा स्थल में या धार्मिक कार्यक्रमों में करते हैं। यह घंटी आसानी से हाथ से बजाई जा सकती है। इस घंटी के ऊपरी हिस्से पर गरुड़ बना होता है, इसलिए ये गरुड़ घंटी कहलाती है। मान्यताओं के अनुसार गरुड़ भगवान विष्णु के वाहन हैं और इनके द्वारा भक्तों की इच्छाएं ईश्वर तक पहुंचती हैं। इसके साथ ही घर के वास्तु दोष को दूर करने में भी गरुड़ घंटी बहुत काम आती है। इसलिए घर के मंदिर में गरुड़ घंटी का प्रयोग किया जाता है।
द्वार घंटी
यह घंटी मंदिरों के मुख्य दरवाजे पर लगी होती है। भक्त मंदिर में प्रवेश से पहले इस घंटी को बजाते हैं। इसका महत्व ये है कि मंदिर में प्रवेश के दौरान इस घंटी को बजाने से आपके मन की नकारात्मकता दूर होती है और साथ ही देवता भी जागृत होते हैं।
हाथ घंटी
यह घंटी पीतल से बनी होती है और इसका आकार गोल होता है। इसे बजाने के लिए हथोड़ीनुमा लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है। इस घंटी का इस्तेमाल भी मंदिर के वातावरण को सकारात्मक करने के लिए ही होता है। हालांकि मंदिरों के साथ ही इस घंटी का इस्तेमाल ग्राम पूजा, या इस तरह की पूजाओं में होता है जो मंदिर से दूर किसी स्थान पर की जाती हैं।
घंटा
यह घंटी बहुत बड़े आकार की होती है। इसका साइज 4-5 फुट हो सकता है। यह घंटी जब बजाई जाती है तो इसका स्वर कई मीटर दूर तक पहुंचता है। इसकी ध्वनि से न केवल भक्तों पर बल्कि वातावरण पर भी अच्छे प्रभाव देखने को मिलते हैं। अक्सर इस तरह की घंटियां बड़े और विख्यात मंदिरों के द्वार पर ही होती हैं।
घंटी बजाने का महत्व
घंटी की ध्वनि में वातावरण में मौजूद विषाणुओं को खत्म करने की शक्ति होती है। घंटी बजाने के फायदों के बारे में न केवल धर्म-ग्रंथों बल्कि विज्ञान में भी बताया गया है। भौतिक शास्त्र के अनुसार घंटी, की ध्वनि से जो कंपन होता है वो वायुमंडल के नकारात्मक प्रभाव को कम कर देता है। वहीं नकारात्मक विचारों को दूर करने की शक्ति भी घंटी की आवाज में होती है। वहीं धार्मिक दृष्टि से शरीर के सात चक्रों को सक्रिय करने में घंटी की ध्वनि बहुत मददगार होती है। घंटी की ध्वनि आपको एकाग्र भी करती है। इसलिए पूजा के दौरान घंटी बजाई जाती है ताकि, व्यक्ति का मन माया-मोह को छोड़कर पूजा में लग सके।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इंडिया टीवी इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)
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