क्या स्त्रियां शंख बजा सकती हैं? क्या कहते हैं धर्म शास्त्र, जानें ज्योतिषाचार्य चिराग बेजान दारूवाला से
हिंदू धर्म में शंख बजाने के बहुत शुभ माना गया है। लेकिन इसे बजाने के भी कुछ नियम होते हैं। ऐसे में आइए जान लेते हैं कि, स्त्रियों को शंख बजाना चाहिए या नहीं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हमें अपने पूजा स्थल पर शंख अवश्य रखना चाहिए। सुबह-शाम जब भी हम पूजा करते हैं तो हमें अपने घर या मंदिर में शंख अवश्य बजाना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस शंख को बजाने से घर में सुख-शांति आती है। घर में जहां भी शंख बजाया जाता है, वहां देवी लक्ष्मी का वास होता है। ऐसा माना जाता है कि शंख बजाने से उस स्थान की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और वहां सकारात्मक ऊर्जा आती है। ज्योतिष चिराग दारूवाला से जानिए महिलाओं को शंख बजाना चाहिए या नहीं।
घर में जहां भी शंख बजाया जाता है, वहां धन-संपत्ति या किसी भी चीज की कमी नहीं होती है। पंडित भी आरती से पहले भगवान को आमंत्रित करने के लिए मंदिर में शंख बजाते हैं। शंख बजाने से पहले हमें भगवान विष्णु को प्रणाम करना चाहिए। शंख बजाने से कई तरह की सांस संबंधी बीमारियां भी दूर होती हैं।
महिलाओं के शंख बजाने पर क्या कहते हैं धर्म-शास्त्र
शास्त्रों में महिलाओं के शंख बजाने पर कोई विशेष प्रतिबंध नहीं है, लेकिन कुछ पुरानी परंपराओं और सांस्कृतिक विचारों के अनुसार, महिलाओं को कुछ कार्यों के लिए शंख बजाने से मना किया जाता है। हालाँकि, यह राय अलग-अलग समुदायों, संस्कृतियों और धार्मिक परंपराओं में अलग-अलग हो सकती है।
हिंदू धर्म में शंख बजाने का विशेष महत्व है, और इसे धार्मिक अनुष्ठानों, पूजा और यज्ञ में एक शुभ प्रतीक माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि शंख बजाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और वातावरण शुद्ध होता है। आमतौर पर, शंख बजाने की प्रथा केवल पुरुषों के लिए ही आम मानी जाती है, लेकिन कई जगहों पर महिलाओं को भी शंख बजाने की अनुमति है, खासकर पूजा या धार्मिक कार्यों में।
पुरानी परंपराएँ और सामाजिक विचार
कुछ परंपराओं में यह माना जाता था कि शंख केवल पुरुष ही बजा सकते हैं, क्योंकि शास्त्रों के अनुसार यह केवल पुरुषों के कार्यों से संबंधित था। लेकिन आधुनिक समय में यह दृष्टिकोण बदल गया है और कई समुदायों में महिलाओं को शंख बजाने की स्वतंत्रता दी गई है।
आध्यात्मिक दृष्टिकोण: शंख बजाना शांति, समृद्धि और आशीर्वाद लाने के लिए जप और ध्यान का एक रूप भी हो सकता है। इस संदर्भ में लिंग के आधार पर कोई विशेष प्रतिबंध नहीं है।
इसलिए, शास्त्रों में शंख बजाने के बारे में कोई स्पष्ट निषेध नहीं है, और यह ज्यादातर परंपरा, संस्कृति और व्यक्तिगत मान्यताओं पर निर्भर करता है। आज, कई जगहों पर महिलाएं भी शंख बजाती हैं, और इसे धार्मिक कर्तव्य और आस्था का हिस्सा मानती हैं।
लेकिन सवाल यह है कि क्या महिलाओं को भी शंख बजाना चाहिए। हां, महिलाएं भी पुरुषों की तरह शंख बजा सकती हैं। ऐसा कोई नियम नहीं है कि सिर्फ पुरुष ही शंख बजाएंगे और महिलाएं नहीं। लेकिन अगर कोई महिला गर्भवती है तो उसे शंख नहीं बजाना चाहिए।
क्योंकि जब हम शंख बजाते हैं तो हमारा दबाव नाभि पर पड़ता है और अगर गर्भवती महिला शंख बजाती है तो इसका उसके होने वाले बच्चे पर बुरा असर पड़ सकता है। इसीलिए गर्भवती महिलाओं को शंख बजाने की सलाह नहीं दी जाती है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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