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बिस्तर पर बैठकर भोजन करना क्यों है अशुभ? जानें वास्तु में क्या है सही नियम

वास्तु में भोजन से जुड़े कुछ नियमों का जिक्र मिलता है, इन्हें ध्यान में रखकर अगर आप भोजन करते हैं तो अच्छे परिणाम आपको जीवन में मिल सकते हैं।

Eating - India TV Hindi Image Source : FREEPIK Eating

आपने कई लोगों को देखा होगा जो बिस्तर पर बैठकर भोजन करते हैं। वास्तु की मानें तो ऐसा करना अच्छा नहीं होता, इसकी वजह से कई परेशानियां आपके जीवन में आ सकती हैं। ऐसा करना न आपके स्वास्थ्य के लिए और ना ही आपके आर्थिक पक्ष के लिए अच्छा होता है। आइए जानते हैं कि आखिर क्यों वास्तु और ज्योतिष शास्त्र में बिस्तर पर बैठकर खाना गलत माना गया है, और भोजन ग्रहण करने के सही नियम क्या हैं।  

इसलिए नहीं खाना चाहिए बिस्तर पर बैठकर

  • वास्तु शास्त्र की मानें तो जिस कार्य के लिए जो स्थान निश्चित है वहां केवल वही कार्य किया जाना चाहिए। बिस्तर विश्राम करने के लिए है इसलिए गलती से भी कभी बिस्तर पर बैठकर खाना नहीं खाना चाहिए, अगर आप ऐसा करते हैं तो माता अन्नपूर्णा आप से नाराज होती हैं। 
  • वास्तु की मानें तो जो लोग बिस्तर पर बैठकर खाते हैं, उनको आर्थिक नुकसान का सामना बार-बार करना पड़ सकता है। ऐसे लोगों की अचानक धन हानि होती रहती है। 
  • वहीं धार्मिक शास्त्रों की मानें तो बिस्तर पर बैठकर भोजन करने से माता लक्ष्मी की कृपा रुक जाती है। यानि धन कमाने में और उसे संचित करने में बहुत परेशानियों का सामना आपको करना पड़ सकता है। 
  • वास्तु के अनुसार बिस्तर पर खाना खाने की वजह से नकारात्मक शक्तियां आपके घर में प्रवेश कर सकती हैं। ऐसा करना आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा नहीं होता। 
  • बिस्तर पर बैठकर भोजन करने से राहु ग्रह भी बुरे परिणाम देने लगता है। ऐसे लोगों के घर में अशांति का वातावरण रहता है, जो बिस्तर पर बैठकर खाना खाते हैं। 

आइए अब जानते हैं कि भोजन करने के लिए कौन सी जगह सबसे अच्छी माना जाती है। 

भोजन से जुड़े वास्तु नियम

वास्तु के अनुसार भोजन आपको जमीन पर बैठकर करना चाहिए। 

भोजन करते समय आपका मुख उत्तर-पूर्व की दिशा में हो तो अच्छे परिणाम आपको मिलते हैं। 

भोजन करने के बाद कभी भी जूठे-बर्तन किचन में नहीं रखने चाहिए। 

किचन में भोजन करने का स्थान न हो तो बेहतर। 

जिस जगह पर आप भोजन करते हैं, उस जगह को हमेशा साफ करके रखना चाहिए। 

भोजन करने से पहले भोजन मंत्र का जप आपको करना चाहिए, मंत्र नीचे दिया गया है- 

ॐ सह नाववतु, सह नौ भुनक्तु, सह वीर्यं करवावहै ।
तेजस्वि नावधीतमस्तु मा विद्विषावहै ॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
अन्नपूर्णे सदापूर्णे शंकर प्राण वल्लभे।
ज्ञान वैराग्य सिद्धयर्थ भिखां देहि च पार्वति।।
ब्रह्मार्पणं ब्रह्महविर्ब्रह्माग्नौ ब्रह्मणा हुतम् ।
ब्रह्मैव तेन गन्तव्यं ब्रह्मकर्म समाधिना ।।

अगर आप इन बातों का ध्यान रखते हुए भोजन ग्रहण करते हैं, तो आपको आरोग्य की प्राप्ति होती है और जीवन की कई परेशानियों का भी अंत होता है।
 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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