Badrinath Dham: कार्तिक मास में भगवान विष्णु की पूजा का बहुत बड़ा विशेष महत्व है। आज हम आपको उनके सबसे प्रसिद्ध तीर्थस्थल बद्रीनाथ धाम मंदिर से जुड़ी एक खास बात बाताएंगे। हिंदू धर्म में चार धाम यात्रा में से एक बद्रीनाथ धाम मंदिर की यात्रा भी शामिल होती है। बद्रीनाथ धाम मंदिर भारत के सबसे प्रसिद्ध विष्णु मंदिरों में से एक है।
बद्रीनाथ धाम में प्रत्येक वर्ष लाखों विष्णु भक्त उनके दर्शन करने के लिए आते हैं। यह मंदिर देवभूमि उत्तराखंड राज्य में है। वैसे तो हिंदू धर्म में सारे वैष्णव मंदिर में शंखनाद आरती के दौरान किए जाते हैं। पर सिर्फ यही एक ऐसा मंदिर है, जहां शंखनाद बिल्कुल नहीं किया जाता है। आइए जानते हैं आखिर इतने बड़े विष्णु धाम में शंख क्यों नहीं बाजाया जाता है।
शंख न बाजाये जाने का कारण
बद्रीनाथ धाम में शंख बजाने के पीछे एक मान्यता है कि, इस मंदिर के प्रांगण में जिसे तुलसी भवन कहा जाता है। वहां एक बार लक्ष्मी जी ध्यान मुद्रा में थी। उस समय भगवान विष्णु ने शंखचूर्ण दैत्य का संहार किया था। जब लक्ष्मी जी ध्यान में बैठी हुईं थी उस समय भगवान विष्णु ने सोचा कि उनकी ध्यान-साधना में किसी प्रकार का विघ्न न आए। इस कारण उन्होनें दैत्य शंखचूर्ण का वध करने के बाद शंख नहीं बजाया था। हिंदू धर्म में बताया गया है कि किसी भी युद्ध की विजय प्राप्ति के बाद शंखनाद किया जाता है।
बद्रीनाथ धाम की महिमा
हिंदू धर्म में चार धाम की यात्रा करने का महत्व बताया गया है। जिसमें से उत्तराखंड के राज्य में आने वाला एक बद्रीनाथ धाम भी है, जो भगवान विष्णु को समर्पित है। मान्यता है कि यहां जो भी भक्ति दर्शन करने जाते हैं। उनको मोक्ष की प्राप्ति होती है और उनके जीवन के सभी कष्ट भगवान विष्णु की कृपा से मिट जाते हैं। यह तीर्थ अति पवित्र माना जाता है। जहां आज बद्रीनाथ मंदिर है वहां एक समय पर भगवान विष्णु ने घोर तप किया था। इसलिए माना जाता है यहां साक्षात रूप में भगवान विष्णु निवास करते हैं।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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