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Hindi News धर्म त्योहार Utapanna Ekadashi 2023: इस दैत्य की मृत्यु से शुरू हुई एकादशी तिथि, जानिए भगवान विष्णु से जुड़ी ये रोचक कथा, व्रत करने से बढ़ेगी धन संपदा अगाध

Utapanna Ekadashi 2023: इस दैत्य की मृत्यु से शुरू हुई एकादशी तिथि, जानिए भगवान विष्णु से जुड़ी ये रोचक कथा, व्रत करने से बढ़ेगी धन संपदा अगाध

मार्गशीर्ष के पावन महीने का शुभारंभ हो चुका है। वैसे यह महीना भगवान कृष्ण की भक्ति को समर्पित है। लेकिन इस पावन महीने में एकादशी देवी का भी जन्म हुआ था। आइए जानते हैं आखिर एकादशी माता का जन्म कैसे हुआ और क्यों इस महीने उत्पन्ना एकादशी मनाई जाती है।

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Utpanna Ekadashi 2023: हिंदू धर्म में सभी व्रतो में एकादशी का व्रत सबसे श्रेष्ठ है। शास्त्रों में बताया भी गया है कि एकादशी के व्रत से ज्यादा कुछ और भगवान विष्णु को नहीं प्रिय है। मान्यता है कि सभी तिथियों में से भगवान नारायण को एकादशी तिथि सबसे ज्यादा प्रिय है। वैदिक पंचांग के अनुसार हर महीने 2 एकादशी तिथि और साल में पूरी 24 एकादशी तिथियां पड़ती हैं। आइए जानते हैं आखिर इस एकादशी तिथि और व्रत की शुरुआत आखिर हुई कैसे और इस बार कब मनाई जाएगी उत्पन्ना एकादशी।

कब है उत्पन्ना एकादशी

  • उत्पन्ना एकादशी - 8 दिसंबर 2023 दिन शुक्रवार।
  • एकादशी तिथि प्रारंभ का समय - 8 दिसंबर 2023 दिन शुक्रवार को सुबह 5 बजकर 6 मिनट से शुरुआत।
  • एकादशी तिथि समापन का समय  - 9 दिसंबर 2023 दिन शनिवार को सुबह 6 बजकर 31 मिनट पर समापन।

भगवान विष्णु का हुआ मुर दैत्य से युद्ध

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान विष्णु और मुर दैत्य के बीच घमासान युद्ध चला। उस युद्ध में भगवान विष्णु थक गए और कुछ समय के लिए बद्रिकाश्रम की गुफा में जाकर विश्राम करने लगे। आराम करते समय भगवान विष्णु को नींद आगई और वहां मुर नाम का दैत्य पहुंच गया और उसने भगवान विष्णु को नींद में देख कर मौके का फायदा उठाते हुए जैसे ही उन पर प्रहार करने चला। तुरंत उसी समय श्री हरि के शरीर से एक देवी प्रकट हुईं और उन्होनें मुर राक्षस का वध कर दिया। जिस दिन मुर दैत्य का वध हुआ वह मार्गशीर्ष मास की एकादशी तिथि थी।

इस तरह प्रकट हुईं देवी एकादशी

श्री हरि ने जब देखा की मुर दैत्य का वध देवी ने कर दिया। तो वह उनसे प्रसन्न हुए और उन्हें आशीर्वाद दिया कि आपको आज से एकादशी के रूप में पूजा जाएगा। शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष के ग्यारहवें दिन को एकादशी तिथि के नाम से जाना जाएगा और इस दिन जो भी व्रत रखेंगे और साथ ही साथ मेरी आराधना करेंगे। उनके ऊपर मेरी सदैव विशेष कृपा रहेगी। इस प्रकार एकादशी देवी का जन्म हुआ और यह विष्णु प्रिय बनीं और तब से मार्गशीर्ष का महीना ही एकादशी के उदय का श्रोत माना जाता है। इस कारण इसे उत्पन्ना एकादशी कहते हैं जिसका अर्थ होता है एकादशी का उदगम।

उत्पन्ना एकादशी व्रत का लाभ

  • एकादशी के दिन जो भक्त व्रत का नियम पूर्वक पाल करते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। उनको सदा ही भगवान नारायण की कृपा मिलती है और उनके जीवन में कभी भी कोई कष्ट नहीं आता।
  • यह तिथि भगवान विष्णु को सबसे ज्यादा प्रिय होने के कारण इस दिन जो भी श्रद्धापूर्वक व्रत रखता है और रात्रि जागरण करता है। उसके अनेक जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं और अंत में उसे मोक्ष प्राप्त होता है।
  • उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखने से अश्वमेघ यज्ञ के बराबर फल मिलता है।
  • मान्यता है कि जो लोग प्रत्येक एकादशी का व्रत रखते हैं। उनको सारे भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। इस व्रत का नियमित पालन करने से व्यक्ति धन-दौलत से भी संपन्न रहता है।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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