Good Luck Sign: कितना बुलंद है आपका भाग्य? इन 2 आसान तरीकों से करें पहचान
भाग्य और कर्म दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। माना जाता है कि व्यक्ति जीवन में कितना भी संघर्ष कर ले जब तक उसका भाग्य साथ नहीं देगा वह जीवन में कभी भी सफल नहीं हो पाता गै। आइए जानते हैं वो 2 सरल तरीके जिससे आप अपना भाग्य पहचान सकते हैं।
Good Luck Sign: हिंदू धर्म ग्रंथों में वो शक्ति है जो मानव की सोच से भी परे है। शास्त्रों में वो बातें लिखी हुई हैं जिसकी आज कलयुग के समय हम कल्पना भी नहीं कर सकते। फिलहाल आज हम बहुत रोचक विषय आपके लिए लेकर आए हैं। हमने अक्सर सुना है कि लोग कहते हैं उसका भाग्य देखों कितना साथ दे रहा है। यहां तक हमने यह भी सुना होगा कि जब किस्मत ही फूटी हो तो इसमें भला कोई क्या कर सकता है। जहां तक है आप आज के विषय को समझ गए होंगे।
आज हम जीवन के एक बहुत महत्वपूर्ण विषय भाग्य के ऊपर बात कर रहे हैं। जी हां, जब तक व्यक्ति का भाग्य नहीं साथ देता वो कितना भी मेहनत कर ले उसके हाथ सफलता नहीं लगती है। शास्त्रों में भाग्य को लेकर बुहत सी बातें बताई गई हैं लेकिन आज हम आपको यह बताने जा रहे हैं कि जीवन में भाग्य की पहचान कैसे की जाती है। आखिर कैसे पता चले कि हमारा भाग्य बुलंद है या नहीं। इसको पहचानने के दो तरीके हैं जिनके बार में हम आपको बता रहे हैं।
ज्योतिष वेदों का छठा अंग
वेदों के यदि छठे अंग ज्योतिष शास्त्र की बात करें तो मनुष्य की जन्मपत्रिका से उसका भाग्य पहचाना जा सकता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्म कुंडली के नवम भाव का संबंध हमारे भाग्य से होता है। नवम पाव के राशि स्वामी की स्थिति देख कर ये पता लगाया जा सकता है कि हमारा भाग्योदय होगा या नहीं। मनुष्य से लेकर चर-अचर समस्त पृथ्वी पर ग्रहों का प्रभाव पड़ता है। यदि लग्न कुंडली में नौवा घर का राशि स्वामी मजबूत स्थिति में है तो व्यक्ति का भाग चमकता है।
कुंडली के अनुसार भाग्य को जानने का पहला तरीका
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में नवम स्थान से भाग्य देखा जाता है। यदि नवम स्थान का राशि स्वामी अपने घर से छठे, आठवें और द्वादश भाव में न बैठा हो और लग्न से भी छठे, आठवें और द्वादश भाव में न बैठा हो तो व्यक्ति का भाग्य अच्छा माना जाता है।
- माना जाता है कि कुंडली में नवम स्थान का स्वामी अपने ही घर में बैठा हो, मित्र राशि में हो या उच्च का होकर बैठा हो तो ऐसे व्यक्ति का भाग्य बहुत प्रबल होता है।
- यदि नवम भाव का राशि स्वामी बली अवस्था में है। मतलब अच्छे अंश में है तो भाग्योदय होने की संभावना और अधिक बड़ जाती है।
- नवम भाव का जो भी राशि स्वामी होता है जब उसकी महादशा या अंतरदशा आति है तो ज्योतिष सूत्र के अनुसार उसका भाग्योदय होना निश्चित ही है क्योंकि असल में ग्रह महादशा और अंतरदशा में ही अपना असली फल देते हैं।
- जिस व्यक्ति की नवम भाव के राशि स्वामी की स्थिति अच्छि होती है उनको जीवन भर ऐश्वर्य, समाज में नेम-फेम और अथाह धन-संपदा की प्रप्ति होती है।
भाग्य को पहचानने का दूसार तरीका हस्त रेखा विज्ञान
सामुद्रिका शास्त्र की एक शाखा हस्त रेखा विश्लेषण है। यदि आपको जानना है कि आपकी किस्मत आपके साथ है या नहीं तो हथेली में बनी लकीरें यह आसानी से बता देती हैं। हथेली में मणिबंध से जो सीधी रेखा निकल कर शनि पर्वत की ओर जाती है वह हमारे जीवन के भाग्य को बताती है। मणिबंध हथेली का वह भाग होता है जहां कलाई होती है। वहां से निकल कर जो सीधी रेखा मध्यमा उंगली की ओर जाती है वह भाग्य रेखा कहलाती है। यह रेखा जितनी साफ दिखती है माना जाता है उतना ही उस व्यक्ति का भाग्य बुलंद होता है। सामुद्रिका शास्त्र के अनुसार जिनके हाथ में ये रेखा होती है वह निश्चित ही सफलता की सीढ़ियां अपने जीवन में चढ़ते हैं।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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