Skanda Sashti 2023: संतान सुख के लिए आज करें स्कंद षष्ठी की पूजा, जानिए विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व
Skanda Sashti 2023: स्कंद षष्ठी व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से संतान पर आने वाली सारी बलाएं दूर हो जाती हैं। साथ ही संतान सुख का भी आशीर्वाद मिलता है।
Skanda Sashti Vrat 2023: आज यानी शनिवार को स्कंद षष्ठी का व्रत रखा जाएगा। मान्यता है कि इस दिन विधिवत पूजा और उपवास रखने से निसंतान दंपति को संतान सुख का आशीर्वाद मिलता है। स्कंद षष्ठी व्रत करने से सभी शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलती है और संतान के जीवन पर कभी कोई संकट नहीं आता है। स्कंद षष्ठी व्रत में भगवान शिव और माता गौरी के ज्येष्ठ पुत्र कार्तिकेय की पूजा की जाती है।
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को भगवान कार्तिकेय का जन्म हुआ था, इसलिए स्कंद षष्ठी का व्रत उन्हें समर्पित है। आपको बता दें कि कार्तिकेय जी का दूसरा नाम स्कंद भी है। भगवान कार्तिकेय को षष्ठी तिथि और मंगल ग्रह का स्वामी कहा गया है। अर्थात जिस किसी की जन्म कुंडली में मंगल अच्छी स्थिति में नहीं चल रहा हो या जिस राशि में मंगल नीच का हो, उन्हें आज स्कंद षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा और उनके निमित्त व्रत रखना चाहिए। दक्षिण दिशा में भगवान कार्तिकेय का निवास बताया गया है और इनका वाहन मोर है।
स्कंद षष्ठी व्रत शुभ मुहूर्त
- स्कंद षष्ठी का व्रत - 25 फरवरी 2023, शनिवार
- फाल्गुन शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि आरंभ- रात 12 बजकर 31 मिनट पर (25 फरवरी 2023)
- फाल्गुन शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि सामपन- रात 12 बजकर 20 मिनट पर (26 फरवरी 2023)
स्कंद षष्ठी व्रत पूजा विधि
- स्कंद षष्ठी के दिन स्नान कर साफ कपड़े पहन लें
- इसके बाद भगवान कार्तिकेय का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें
- संभव हो तो भगवान कार्तिकेय की मिट्टी की मूर्ति बना लें, नहीं तो तस्वीर से भी पूजा हो सकती है
- भगवान कार्तिकेय को सिंदूर, अक्षत, फूल, फल और मेवा चढ़ाएं
- फिर भगवान कार्तिकेय के सामने घी की दीपक जलाएं
- शिवजी और मां गौरी की पूजा करना बिल्कुल भी न भूलें
- पूजा के आखिर में कार्तिकेय जी की आरती भी जरूर करें
पूजा के बाद इस मंत्र का108 बार जाप करें
देव सेनापते स्कंद कार्तिकेय भवोद्भव,
कुमार गुह गांगेय शक्तिहस्त नमोस्तु ते।
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कंदा प्रचोदयात:।।
स्कंद षष्ठी व्रत का महत्व
प्रचलित पौराणिक कथा के मुताबिक, स्कंद षष्ठी व्रत करने से प्रियव्रत का मरा हुआ बच्चा फिर से जीवित हो गया था। इतना ही नहीं कहते हैं कि इस व्रत के प्रभाव से च्यवन ऋषि को आंखों की रौशनी वापस आ गई थी। स्कंद षष्ठी का व्रत करने से व्रति की संतानों पर कार्तिकेय जी की कृपा बनी रहती है और उनके जीवन पर आने वाली सभी संकट दूर हो जाता है। साथ जिनकी कोई संतान नहीं वो लोग जरूर स्कंद षष्ठी का व्रत और पूजा करें। इससे उनकी सूनी गोद जल्द भर जाती है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। । इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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