Sheetala Ashtami 2023: आज रखा जा रहा है शीतला अष्टमी का व्रत, जानिए इस दिन का धार्मिक महत्व और मंत्र
Sheetala Ashtami Vrat 2023: आज शीतला अष्टमी का व्रत रखा जा रहा है। कई जगह इस दिन को बासोड़ा नाम से भी जाना जाता है। आज के दिन माता शीतला की पूजा करने से निरोग शरीर और सुखमय जीवन का आशीर्वाद मिलता है।
Sheetala Ashtami 2023: आज आषाढ़ कृष्ण पक्ष की उदया तिथि अष्टमी और रविवार का दिन है। अष्टमी तिथि आज दोपहर 12 बजकर 6 मिनट तक रहेगी, उसके बाद नवमी तिथि लग जाएगी। प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्री शीतलाष्टमी व्रत और शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को श्री दुर्गाष्टमी व्रत करने का विधान है। आज कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि है। लिहाजा आज श्री शीतलाष्टमी व्रत किया जाएगा। वैसे तो प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्री शीतलाष्टमी व्रत किया जाता है, लेकिन पुराणों में चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ और आषाढ महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को ज्यादा ही फलदायी बताया गया है। इन महीनों की अष्टमी तिथि को शीतला माता की पूजा अर्चना करने से जातक की समस्त मनोकामनाएं अतिशीघ्र पूर्ण होती हैं। इसके अलावा चेचक आदि से भी माता रानी छुटकारा दिलाती हैं।
आज के दिन माताएं अपने बच्चों और अपने परिवार के अच्छे स्वास्थ्य के लिये शीतला माता के निमित्त व्रत रखती हैं। आज के दिन रास्ते के पत्थर को देवी मां का स्वरूप मानकर, उसकी पूजा करने की भी परंपरा है, इसीलिए शीतला माता का एक नाम पथवारी माता भी है। आज के दिन देवी मां की विधि-पूर्वक पूजा करके उन्हें बांसी भोजन का भोग लगाने की परंपरा है। साथ ही खुद भी प्रसाद के रूप में बासी भोजन का सेवन करना चाहिए और देवी मां का आशीर्वाद लेना चाहिए। आज के दिन ऐसा करने से व्यक्ति हष्ट-पुष्ट बना रहता है, उसे किसी तरह की स्वास्थ्य समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है।
आप जानते ही होंगे कि- माता शीतला स्वच्छता की देवी हैं। ये हमें पर्यावरण को साफ-सुथरा रखने की प्रेरणा देती हैं। अतः आज के दिन अपने आस-पास साफ-सफाई का पूरा ख्याल रखना चाहिए और संभव तो कोई एक पौधा भी अवश्य लगाना चाहिए। इससे पर्यावरण में और आपके परिवार में भी शुद्धता बनी रहेगी। शीतलाष्टमी के इस पर्व को अलग-अलग जगहों पर बासोड़ा, बूढ़ा बसौड़ा या बसियौरा नामों से भी जाना जाता है। इस दिन बासी या ठंडा भोजन खाने की परंपरा है। स्कन्द पुराण में माता शीतला की अर्चना का स्तोत्र 'शीतलाष्टक' के रूप में प्राप्त होता है। ऐसा माना जाता है कि- इस स्तोत्र की रचना स्वयं भगवान शंकर ने की थी।
शास्त्रों में भगवती शीतला की वंदना के लिए यह मंत्र बताया गया है। मंत्र है- वन्देऽहंशीतलांदेवीं रासभस्थांदिगम्बराम्। मार्जनीकलशोपेतां सूर्पालंकृतमस्तकाम्।। (अर्थात् गर्दभ पर विराजमान, दिगम्बरा, हाथ में झाड़ू और कलश धारण करने वाली, सूप से अलंकृत मस्तक वाली भगवती शीतला की मैं वंदना करता हूं। शीतलाष्टमी का यह पर्व हमें पर्यावरण को स्वच्छ और सुरक्षित रखने की प्रेरणा देता है। इस दिन साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है।)
(आचार्य इंदु प्रकाश देश के जाने-माने ज्योतिषी हैं, जिन्हें वास्तु, सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का लंबा अनुभव है। इंडिया टीवी पर आप इन्हें हर सुबह 7.30 बजे भविष्यवाणी में देखते हैं।)
ये भी पढ़ें-
Bakrid 2023: बकरीद कब मनाई जाएगी? क्यों दी जाती है बकरे की कुर्बानी, जानें डेट, इतिहास और महत्व