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Hindi News धर्म त्योहार Shattila Ekadashi 2023: इस दिन है माघ मास की पहली एकादशी, जानिए व्रत की तारीख, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

Shattila Ekadashi 2023: इस दिन है माघ मास की पहली एकादशी, जानिए व्रत की तारीख, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

Shattila Ekadashi 2023: षटतिला एकादशी व्रत में तिल का काफी महत्व है और इस दिन इसका छह तरीकों से इस्तेमाल किया जाता है। षटतिला एकादशी व्रत करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और भक्तों को मनचाहा वरदान देते हैं।

Shattila Ekadashi 2023- India TV Hindi Image Source : FREEPIK Shattila Ekadashi 2023

Shattila Ekadashi 2023: षटतिला एकादशी का व्रत 18 जनवरी 2023 को रखा जाएगा। यह माघ मास की पहली एकादशी का व्रत होगा। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का महत्व काफी अधिक है। हिंदू धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, षटतिला एकादशी व्रत करने से हजारों साल के तप के बराबर फल मिलता है। षटतिला एकादशी व्रत में तिल का विशेष महत्व  होता है। 

षटतिला एकादशी के दिन तिल मिश्रित जल से स्नान करने, तिल का उबटन लगाने, तिल से हवन करने, तिल मिश्रित जल का सेवन करने, तिल का भोजन करने और तिल का दान करने का विधान है। तिल का मुख्य रूप से इन छः तरीकों से उपयोग करने पर ही माघ कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी कहते हैं।

Image Source : FREEPIKतिल का महत्व

षटतिला एकादशी का धार्मिक महत्व

आज के दिन भगवान विष्णु की पूजा में भी विशेष रूप से तिल का इस्तेमाल किया जाता है। आज के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी होती है और उसे जीवन में वैभव प्राप्त होता है। साथ ही सुख- सौभाग्य, धन-धान्य में वृद्धि होती है और आरोग्यता की प्राप्ति होती है। 

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षटतिला एकादशी व्रत शुभ मुहूर्त

  • षटतिला एकादशी व्रत- 18 जनवरी 2023
  • षटतिला एकादशी शुभ मुहूर्त आरंभ- शाम 06 बजकर 05 मिनट पर ( 17 जनवरी 2023)
  • षटतिला एकादशी समापन-  शाम 04 बजकर 03 मिनट पर (18 जनवरी 2023)
  • पारण का समय- सुबह 07 बजकर 15 मिनट से 09 बजकर 29 मिनट तक (19 जनवरी 2023)

षटतिला एकादशी पूजा विधि

  1. एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान कर साफ वस्त्र धारण कर लें
  2. अब मंदिर और पूजा स्थल को गंगा जल से शुद्ध कर लें
  3. भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें
  4. अब एकादशी व्रत का संकल्प लें
  5. लक्ष्मी नारायण की मूर्ति पर अक्षत, तिलक, धूप और पुष्ण अर्पित करें
  6. भगवान विष्णु सहस्नाम का पाठ करें
  7. इसके बाद लक्ष्मी पति विष्णु की आरती करें
  8. आरती के बाद उन्हें तिल का भोग लगाएं
  9. फिर रात में भी विष्णु जी की पूजा-अर्चना करें
  10. व्रत के दूसरे दिन स्नान और साफ वस्त्र पहनने के बाग भगवान विष्णु को भोग लगाएं
  11. संभव हो तो पंडितों को भोग लगाने के बाद भोजन कर एकादशी का पारण करें

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। INDIA TV इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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