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शरद पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त कब है, स्नान-दान के लिए सही समय क्या होगा? जानें

शरद पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी पूजन का बड़ा महत्व है। इस दिन शुभ मुहूर्त में माता लक्ष्मी की पूजा करने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है। ऐसे में आइए जानते हैं, इस दिन लक्ष्मी पूजन और स्नान-दान का शुभ मुहूर्त।

Sharad Purnima - India TV Hindi Image Source : SOCIAL शरद पूर्णिमा 2024

शरद पूर्णिमा को कोजागरी और कौमुदी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन चंद्रमा की पूजा के साथ ही राधा-कृष्ण, सरस्वती माता, शिव-पार्वती और विष्णु-लक्ष्मी की पूजा आराधना भी की जाती है। माना जाता है कि, शरद पूर्णिमा की रात्रि को ही भगवान कृष्ण ने ब्रज की गोपियों के साथ रासलीला रचाई थी। ये हिंदू धर्म के पवित्र दिनों में से एक है और माता लक्ष्मी की पूजा का भी इस दिन विशेष विधान है। इसके साथ ही पवित्र नदियों में स्नान और दान भी इस दिन किया जाता है। ऐसे में आइए जान लेते हैं कि, शरद पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त कब रहेगा और किस समय आपको स्नान-दान करना चाहिए। 

शरद पूर्णिमा स्नान-दान और लक्ष्मी पूजन मुहूर्त

आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस दिन सही मुहूर्त में लक्ष्मी पूजन करने से धन-धान्य और सुख की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही स्नान दान का भी इस दिन बड़ा महत्व है। 

साल 2024 में शरद पूर्णिमा तिथि 16 अक्टूबर की रात्रि में 8 बजकर 40 मिनट पर शुरू हो जाएगी। वहीं पूर्णिमा तिथि का समापन 17 अक्टूबर को शाम 4 बजकर 55 मिनट पर होगा। वैसे तो हिंदू धर्म में उदया तिथि की बड़ी मान्यता है, लेकिन शरद पूर्णिमा के दिन चंद्र पूजन किया जाता है और 16 अक्टूबर की रात्रि में ही पूर्णिमा तिथि रात्रि की होगी, इसलिए शरद पूर्णिमा की पूजा 16 की रात्रि में करना ही शुभ माना जाएगा। 

  • लक्ष्मी पूजन का मुहूर्त- 16 अक्टूबर की रात्रि में 11:42 से लेकर 12:32 तक (इसी समय पर आप माता सरस्वती का पूजन भी कर सकते हैं)
  • स्नान-दान मुहूर्त-   पूर्णिमा तिथि 16 की रात्रि 8 बजकर 40 मिनट से शुरू होगी। 17 की शाम तक पूर्णिमा तिथि रहेगी। इसलिए आप 17 तारीख को सुबह स्नान और शाम के समय तक दान कर सकते हैं। 

शरद पूर्णिमा पर लक्ष्मी पूजन का महत्व

शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा के साथ ही लक्ष्मी पूजन को भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन माता लक्ष्मी धरती पर आती हैं। इसलिए भक्त विधि-विधान से उनकी पूजा करते हैं। इसके साथ ही धार्मिक ग्रंथों में वर्णित है कि, इस दिन पर ही माता लक्ष्मी का अवतरण हुआ था। इसलिए लक्ष्मी पूजन का शरद पूर्णिमा पर बड़ा महत्व है। इस दिन चंद्रमा चंद्रमा भी 16 कलाओं से परिपूर्ण होते हैं और उनकी किरणों से अमृत की वर्षा होती है। यही वजह है कि, भक्त इस दिन चंद्रमा की रोशनी में खीर रखते हैं और अगले दिन लक्ष्मी पूजन में इस खीर को माता को अर्पित करते हैं। इसके साथ ही भक्त इस खीर को प्रसाद के रूप में स्वयं भी ग्रहण करते हैं। खीर खाने से स्वास्थ्य लाभ भक्तों को प्राप्त होता है। 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। । इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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