Pradosh Vrat 2023: सावन माह का दूसरा प्रदोष व्रत कब रखा जाएगा? यहां जानिए सही तिथि, पूजा विधि और महत्व
Pradosh Vrat 2023: प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की आराधना करने से मन की हर मुराद पूरी हो जाती है। वहीं सावन माह में आने वाले प्रदोष व्रत का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। तो आइए जानते हैं कि अब प्रदोष व्रत कब है किस विधि के साथ भोलेनाथ की पूजा करनी चाहिए।
Sawan Pradosh Vrat 2023: सावन माह में आने वाले प्रदोष व्रत का खास महत्व होता है। इस व्रत में देवों के देव महादेव की उपासना की जाती है। प्रदोष व्रत को काफी फलदायी माना जाता है। कहते हैं कि इस दिन जो भी जातक उपवास रख शिवजी की विधिपूर्वक पूजा करता है उसकी हर मनोकामना पूरी होती है। सावन माह के प्रदोष व्रत करने से कई गुना अधिक शुभ फलों की प्राप्ति होती है। आपको बता दें कि प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष का व्रत रखा जाता है। प्रदोष काल यानि संध्या के समय में भगवान शिव की पूजा की जाती है।
अलग-अलग वार को पड़ने पर प्रदोष व्रत का अलग-अलग नामकरण भी किया जाता है। जैसे- सोमवार को पड़ने वाला प्रदोष, सोम प्रदोष व्रत, शनिवार को पड़ने वाला प्रदोष शनि प्रदोष व्रत कहलाता है। वैसे ही रविवार को पड़ने वाले प्रदोष को रवि प्रदोष व्रत कहा जाता है। प्रदोष का ये व्रत सुबह से लेकर रात के प्रथम प्रहर तक किया जाता है। सावन का दूसरा और अधिकमास का पहला प्रदोष व्रत 30 जुलाई 2023 को रखा जाएगा।
प्रदोष व्रत पूजा विधि
प्रदोष व्रत के दिन प्रात:काल स्नान आदि से निवृत होकर शिव जी की पूजा करनी चाहिए। सबसे पहले शिवलिंग पर शुद्ध जल चढ़ाएं। फिर पंचामृत से शिवलिंग को स्नान कराके दोबारा शुद्ध जल चढ़ाएं। इसके बाद बेल पत्र, गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, फल, पान, सुपारी, लौंग,इलायची आदि से भगवान का पूजन करें और हर बार एक चीज़ चढ़ाते हुए ‘ऊं नमः शिवाय’ मन्त्र का जप करें।
इस प्रकार सुबह की पूजा के बाद प्रदोष काल में पुनः स्नान कर या हाथ पैर धोकर साफ कपड़े पहनें। शिव मंदिर जाकर या मंदिर न जा सके तो घर में ही पूजा के लिए एक स्थान निर्धारित करके, उस जगह को साफ जल से शुद्ध करके गाय के गोबर से लीपकर मंडप तैयार कर लें। फिर उस मंडप में पांच रंगों से रंगोली बनाएं और उसी के पास पूजा के लिये भगवान शिव की तस्वीर रखें और सुबह की तरह ही पूरे विधि- विधान से पूजन करें ।
कहा जाता है कि त्रयोदशी तिथि की रात के पहले प्रहर में जो व्यक्ति किसी भेंट के साथ शिव प्रतिमा के दर्शन करता है, उसे जीवन में सुख ही सुख मिलता है। लिहाजा प्रदोष व्रत के दिन शिव प्रतिमा के दर्शन अवश्य ही करने चाहिए। मान्यताओं के मुताबिक, रवि प्रदोष व्रत करने से जातक के आयु वृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य का लाभ मिलता है। साथ ही दांपत्य जीवन सुखमय बना रहता है।
(आचार्य इंदु प्रकाश देश के जाने-माने ज्योतिषी हैं, जिन्हें वास्तु, सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का लंबा अनुभव है। इंडिया टीवी पर आप इन्हें हर सुबह 7.30 बजे भविष्यवाणी में देखते हैं।)