Sawan Last Somwar: सावन का महीना शिवजी का पसंदीदा महीना होता है, सावन के सोमवार पर लोग शिवजी के लिए व्रत रखते हैं जिससे उन्हें मनवांछित फल मिले। महादेव हम सबके पालनहार हैं और देवों के देव हैं, हम सभी जानते हैं कि भगवान शिव की तीन आंखें होती हैं लेकिन क्या आप ये जानते हैं उन्हें ये तीसरी आंख मिली कैसे थी? इसके पीछे भी एक रहस्य है। आइए आपको इसकी दिलचस्प जानकारी देते हैं।
मान्यता है कि शिवजी अपनी तीसरी आंख तभी खोलते हैं जब उन्हें विनाश करना हो, लेकिन ये आंख उन्होंने पहली बार तब खोली थी जब उन्हें सृष्टि को बचाना था। महाभारत के छठे खंड के अनुशासन पर्व में इसके रहस्य से पर्दा उठा है। पौराणिक कथा के अनुसार एक बार नारदजी भगवान शिव और माता पार्वती के की बातचीत बताते हैं और इस बातचीत में शिवजी की त्रिनेत्र के बारे में 9 रहस्यों के बारे में बताया गया है।
Image Source : INDIA TVभगवान शिव को कैसे मिली तीसरी आंख
नारदजी बताते हैं कि एक बार हिमालय पर्वत पर भगवान शिव सभा कर रहे थे, इस सभा में सभी देवता, ऋषि-मुनि और ज्ञानी लोग शामिल थे, तभी सभा में माता पार्वती आईं और उन्होंने शिवजी के साथ मनोरंजन करने के लिए उनकी दोनों आंखें अपने हाथों से बंद कर दीं। जैसे ही माता पार्वती ने शिवजी की आंखें ढकी पूरी सृष्टि में अंधेरा छा गया, लगने लगा कि सूर्य का कोई अस्तित्व ही न हो। धरती पर मौजूद सभी जीव-जंतुओं में खलबली मच गई। संसार की ये दशा भगवान शिव नहीं देख सकते थे और उन्होंने अपने माथे पर एक ज्योतिपुंज प्रकट किया जो भगवान शिव की तीसरी आंख बनी और तुरंत पूरी सृष्टि में रोशनी हो गई। बाद में जब माता पार्वती ने इस तीसरी आंख के बारे में शिवजी से पूछा तो उन्होंने बताया कि अगर वो ऐसा नहीं करते तो पूरी सृष्टि का विनाश हो जाता, क्योंकि उनकी आंखें जगत की पालनहार हैं।
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इसी घटना के बाद से शिवजी को तीसरी आंख मिली, जिसे शिवजी हमेशा बंद करके रखते हैं, क्योंकि जब शिवजी की तीसरी आंख खुलती है तो फिर विनाश होने से कोई नहीं रोक सकता है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इंडिया टीवी इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)