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Hindi News धर्म त्योहार Satyanarayan Puja 2023: शुक्रवार को है साल की पहली सत्यनारायण पूजा व्रत, नोट कर लें पूजा सामग्री, शुभ मुहूर्त और आरती

Satyanarayan Puja 2023: शुक्रवार को है साल की पहली सत्यनारायण पूजा व्रत, नोट कर लें पूजा सामग्री, शुभ मुहूर्त और आरती

Satyanaryan Puja 2023: भगवान सत्यनारायण की पूजा और कथा सुनने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। 6 जनवरी 2023 सत्यनारायण की पूजा के लिए उत्तम दिन है।

Satyanarayan Puja Vrat January 2023- India TV Hindi Image Source : FILE IMAGE Satyanarayan Puja Vrat January 2023

Satyanaryan Puja 2023: हिंदू घरों में कोई भी शुभ कार्य से पहले और बाद में भगवान सत्यनारायण की पूजा करवाई जाती है। हिंदू धर्म में सत्यानारायण पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि जो कई भी अपने घर में शुभ मुहूर्त में भगवान सत्यनारायण की पूजा करवाता है उसके घर में भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है। साथ परिवार के लोक समृद्ध और खुशहाल बने रहते हैं। 

अगर आप भी काफी समय से घर में सत्यनारायण की पूजा करवाना चाह रहे हैं तो इसके लिए 6 जनवरी का दिन काफी शुभ है। दरअसल, इस दिन पौष पूर्णिमा पड़ रहा है। पौष पूर्णिमा काफी शुभ और फलदायी माना जाता है। ऐसे में सत्यनारायण की पूजा और कथा सुनने के लिए पूर्णिमा का दिन सबसे शुभ है। 

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सत्यनारायण पूजा शुभ मुहूर्त

  • पूर्णिमा तिथि प्रारंभ- मध्यरात्रि 2:14 से शुरू (6 जनवरी 2023)
  • पूर्णिमा तिथि समापन- सुबह 4:37 पर (7 जनवरी 2023)

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सत्यनारायाण की पूजा के लिए 6 जनवरी का पूरा दिन शुभ रहेगा। लेकिन सत्यनारायण की पूजा के लिए पूर्णिमा के दिन और सायंकाल में पूजा सबसे उत्तम माना जाता है

सत्यनारायण की पूजा सामग्री

  1. सत्यनारायण भगवान की तस्वीर
  2. श्री फल
  3. पंचामृत  (कच्चा दूध,दही, शहद, पंचमेवा, गुड़, केला)
  4. सुपारी, लौंग, रोली, मोली, जनेऊ, इलायची, पान के पत्ते. अक्षत
  5. मिठाई, मौसमी फल,
  6. फूल माला, दुर्वा
  7. धूप-अगरबत्ती, हवन सामग्री, जौ, काले तिल, दीया-बाती, कपूर,
  8. पीला कपड़ा, 
  9.  केले के पत्ते, आम के पत्ते और लकड़ियां
  10. आटे का प्रसाद

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भगवान सत्यनारायण जी की आरती (Bhagwan Satyanarayan Aarti)

जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
सत्यनारायण स्वामी, जन-पातक-हरणा ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

रत्न जड़ित सिंहासन, अद्भुत छवि राजे ।
नारद करत नीराजन, घंटा वन बाजे ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

प्रकट भए कलि कारण, द्विज को दरस दियो ।
बूढ़ो ब्राह्मण बनकर, कंचन महल कियो ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

दुर्बल भील कठारो, जिन पर कृपा करी ।
चंद्रचूड़ एक राजा, तिनकी बिपति हरी ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

वैश्य मनोरथ पायो, श्रद्धा तज दीन्हीं ।
सो फल भोग्यो प्रभुजी, फिर स्तुति किन्हीं ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

भाव-भक्ति के कारण, छिन-छिन रूप धर्‌यो ।
श्रद्धा धारण किन्ही, तिनको काज सरो ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

ग्वाल-बाल संग राजा, बन में भक्ति करी ।
मनवांछित फल दीन्हों, दीन दयालु हरि ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

चढ़त प्रसाद सवायो, कदली फल मेवा ।
धूप-दीप-तुलसी से, राजी सत्यदेवा ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

सत्यनारायणजी की आरती जो कोई नर गावे ।
तन-मन-सुख-संपति मनवांछित फल पावै॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। INDIA TV इसकी पुष्टि नहीं करता है।)