Saturday Mythology Story: रावण के कैद से शनि देव को किसने छुड़ाया था? यहां पढ़ें पूरा किस्सा
आज शनिवार का दिन है और इस दिन शनि देव की पूजा की जाती है। लेकिन हैरान करने वाली बात है कि, शनि देव के प्रकोप से अच्छे-अच्छे कांप जाते हैं। फिर रावण ने शनि देव को कैसे कैद कर लिया था? आइये जानते हैं पूरा किस्सा एक पौराणिक कथा के माध्यम से।
Saturday Mythology Story: हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार प्रत्येक दिन किसी न किसी देवी-देवता की पूजा के लिए होता है। इसी तरह आज का दिन यानी शनिवार का दिन सूर्य पुत्र शनि देव की पूजा के लिए विशेष होता है। ज्योतिष शास्त्र की दृष्टि से देखा जाए तो शनि देव जितना अच्छा फल देने वाले ग्रह कहलाय जाते हैं। उससे कई गुना अधिक वह पीड़ा देने वाले ग्रह भी कहलाय जाते हैं। लेकिन यह दोनों बातें व्यक्ति के कर्म पर निर्भर करती है। अच्छे कर्म करने वालों का शनि देव हमेशा साथ देते हैं, वहीं बुरे कर्म करने वालों का प्रकोप शनिदेव को झेलना पड़ता है। बहरहाल, आज हम आपको शनिवार के दिन एक पौराणिक कथा बाताने जा रहे हैं। जब रावण ने शनि देव को अपनी सोने की लंका में बंधक बना लिया था। फिर उसके बाद क्या हुआ आइए जानते हैं।
शनि देव ने नहीं मानी थी रावण की बात
रावण चाहता था कि जब उसके पुत्र मेघनाथ का जन्म हो तो सभी ग्रह शुभ स्थिति में रहें। जिससे उसका पुत्र पराक्रमी और दीर्घायु को प्राप्त हो। रावण ने अपने बल से सभी ग्रहों को उस समय ठीक कर लिया था और उन्हें सही स्थिति में रहने के लिए कहा था। लेकिन शनि देव ने रावण के अनुसार उसकी कही बात को नहीं माना और वह अपने नियम के अनुसार ही चल रहे थे। तब रावण ने शनि देव को चेतावनी दे डाली। रावण ने शनि देव से कहा कि, आपको मेरे पुत्र के जन्म के समय मेरी आज्ञा के अनुसार शुभ स्थिति में रहना होगा। शनि देव ने उस समय तो रावण की हां में हां मिला दी। लेकिन उसके पुत्र मेघनाथ के जन्म के समय पर वह अपने नियम के अनुसार ही रहे और रावण की बात को नकार दिया। इस कारण मेघनाथ अल्पायु को प्राप्त हुए। रावण को जब यह बात पता चली तो उन्होनें शनि देव से बदला लेने के लिए अपनी लंका के बंदीगृह में उनको उल्टा लटका दिया था।
हनुमान जी ने कराया शनि देव को मुक्त
पौराणिक कथा के अनुसार जब हनुमान जी माता सीता की खोज में लंका पहुचे थे। तब उन्होनें शनिदेव को लंका में कैद पाया था। दरअसल शनिदेव को रावण ने बंधक बना रखा था। जब हनुमान जी ने शनि देव को लंका की बंदीगृह में उल्टा लटके हिए पाया। तब हनुमान जी ने शनि देव से पूछा कि आपको यहां किसने और क्यों कैद किया है? तब शनि देव ने हनुमान जी को पूरी बात बताई और कहा, है बजरंगबली, रावण की कैद से आप ही मुझे छुड़ा सकते हैं, कृप्या मेरी मदद करें। फिर हनुमान जी ने शनि देव को उस बंदीगृह से मुक्त कराया। शनि देव ने हनुमान जी को वचन दिया कि, जो भी आपका भक्त होगा और आपकी उपासना करता होगा उसे में कभी भी परेशान नहीं करूंगा, न ही मेरी साढ़े साती का उसे दुश परिणाम भोगना पड़ेगा। इस कारण हनुमान जी की पूजा करने से शनि देव का प्रकोप किसी को भी नहीं झेलना पड़ता है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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