Exclusive Ram Navami Special: सीता स्वयंवर के समय टूटे शिव धनुष का एक टुकड़ा गिरा था नेपाल में, आज भी मौजूद है सबूत!
Ram Navami 2023: मान्यताओं के मुताबिक, प्रभु राम ने सीता स्वंयवर के समय जब शिव धनुष को तोड़ा था तब वह तीन हिस्सों में टूट गया था। इसी धनुष का एक हिस्सा नेपाल के इस हिस्से में जा गिरा था। आज भी इस जगह पर उस धनुष के हिस्से की पूजा की जाती है।
Ram Navami 2023 Special Story: राम नवमी आने में अब बस कुछ ही दिन बाकी है। ऐसे में आज हम आपको रघुनंदन के जीवन के उस अहम हिस्से के बारे में बताने जा रहे हैं, जिस पल में उनका रिश्ता माता सीता के साथ जुड़ा था। हम बात कर रहे हैं सीता स्वंयर की, जहां प्रभु राम ने शिव धनुष तोड़कर सीता स्वंयवर में अपनी जीत दर्ज की थी। लेकिन आपको पता है कि जब राम जी ने धनुष तोड़ा था तो वह तीन हिस्सों में टूटा था, जिसका एक भाग नेपाल के इस जगह पर जा गिरा था। तो आइए जानते हैं 'पिनाक धनुष' (शिव धनुष) की कथा।
कैसे पहुंचे सीता स्वंयवर में प्रभु राम
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, मुनि विश्वामित्र के साथ प्रभु राम और लक्ष्मण जी मिथिला नगरी जनकपुर (नेपाल) पहुंचे हुए थे। उसी समय राजा जनक जी ने मां जानकी का स्वयंवर रखा था। तब राजा जनक ने विश्वामित्र को सीता स्वयंवर में आने का आमंत्रण दिया। तब मुनि विश्वामित्र अपने साथ दोनों अयोध्या राजकुमारों को लेकर राजा जनक के दरबार में जा पहुंचे। वहां कई बड़े-बड़े और शक्तिशाली राजा बैठे हुए थे।
राम जी ने ऐसे तोड़ा था शिव धनुष
राजा जनक जी ने इस स्वयंवर की शर्त रखी थी कि जो कोई भी शिव धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ा देगा, उसी से सीता का विवाह होगा। लेकिन वहां मौजूद कोई राजा उस धनुष को हिला तक नहीं सका। तब प्रभु श्रीराम ने शिव धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ा दी और जनक नंदिनी को अपनी अर्धांगिनी बना लिया। कहते हैं कि प्रत्यंचा चढ़ाने के दौरान शिव जी धनुष टूट गया, जिसका एक हिस्सा नेपाल के धनुषा में जा गिरा। इसी धनुष के टुकड़े के गिरने के कारण इस जगह का नाम धनुषा पड़ा, जिसे अब लोग धनुषा धाम के नाम से भी जानते हैं।
धनुषा धाम के बारे में
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, जब श्रीराम ने शिव धनुष तोड़ा। तो धनुष का एक टुकड़ा आकाश में, दूसरा टुकड़ा पाताल में और तीसरा टुकड़ा धरा पर गिरा। जो हिस्सा धरा पर गिरा वही स्थान आगे चलकर धनुषा धाम बना। धनुषा धाम में आज भी शिव जी के पिनाक धनुष के अवशेष की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है। माघ में मकर संक्रांति के दिन धनुषा धाम में मेले का भी आयोजन किया जाता है। इस मंदिर को लेकर लोगों में गहरी आस्था है। यहां शिव धनुष के साथ प्रभु राम और माता सीता की पूजा-अर्चना की जाती है। कहते हैं कि यहां मांगी गई हर मुराद पूरी होती है।
राम नवमी का महत्व
रघुनंदन के भक्त इस पावन दिन का सालभर से बेसब्री से इंतजार करते हैं। आज भी मर्यादा पुरुषोत्तम राम के जीवन का सार हर घर में रामायण के माध्यम से सुनाई जाती है। मान्यता है कि कौशल्या नंदन साक्षात भगवान विष्णु के अवतार थे। राम नवमी के दिन राम जी के साथ माता सीता, लक्ष्मण जी और बजरंगबली की भी पूजा का विधान है। आपको बता दें कि इस साल 30 मार्च 2023 को राम नवमी मनाई जाएगी।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। । इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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