Raksha Bandhan Special: कैसी शुरू हुई भाइयों को राखी बांधने की परंपरा, दिलचस्प है ये कथा
Raksha Bandhan Story: हिंदू धर्म में रक्षाबंधन का विशेष महत्व है। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि आखिर इस त्यौहार की शुरुआत कैसे हुई थी।
Raksha Bandhan History And Story: रक्षाबंधन भाई-बहनों के अटूट बंधन और प्रेम का त्यौहार है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर रेशम की डोरी वाली राखी या रक्षासूत्र बांधती है और कामना करती हैं उसका भाई दीर्घायु हो। वहीं भाई राखी बंधवाने के बाद बहनों को उसकी रक्षा करने का वचन देता है। इसके अलावा इस दिन भाई अपनी बहन को राखी बंधवाने के बाद कुछ तोहफा देते हैं। भाई-बहन के इस प्यार भरे त्यौहार के पीछे कई पौराणिक मान्यताएं हैं। तो आइए जानते हैं कि राखी बंधवाने की शुरुआत कैसे हुई थी।
पहली पौराणिक कथा
राखी पर्व को लेकर प्रचलित पौराणिक कथा के मुताबिक, माता लक्ष्मी ने राजा बलि के हाथों में रक्षासूत्र बांधा था और बदले में उनसे अपने पति भगवान विष्णु को मांगा था। कथा के अनुसार, प्रभु नारायण ने वामन का अवतार लेकर दानवराज बलि के पास पहुंचे और उनसे दान मांगा। राजा बलि ने भगवान विष्णु को तीन पग भूमि दान करने का वचन दे दिया। भगवान विष्णु ने एक पग से आकाश लोक और दूसरे पग से पाताल लोक नाप लिया और जैसे ही तीसरा पग उठाए तब राजा बलि का घमंड टूटा और उसने अपना सर भगवान विष्णु के सामने रख दिया। तब भगवान विष्णु प्रसन्न होकर राजा बलि से कहते हैं वरदान मांगने को कहा। तब वरदान मांगते हुए राजा बलि ने भगवान विष्णु से कहा कि प्रभु आप हमेशा मेरे सामने रहे। इस पूरे वाक्या का पता जब मां लक्ष्मी का लगा तब वह परेशान हो गई और विष्णु को वापस लाने के लिए रूप बदलकर राजा बलि के पास पहुंच गई। वहां उन्होंने बलि को अपना भाई मानते हुए उनके हाथों में रक्षासूत्र बांध दिया। माता लक्ष्मी ने फिर अपने भाई राजा बलि से भगवान विष्णु को मांग लिया। कहते हैं कि इसी दिन से रक्षासूत्र बांधने की परंपरा शुरू हुई।
दूसरी पौराणिक कथा
रक्षाबंधन से जुड़ी दूसरी पौराणिक कथा के मुताबिक, महाभारत के समय एक बार भगवान कृष्ण की अंगुली में चोट लग गई थी और उसमें से खून बहने लगा था। ये देखकर द्रौपदी जो कृष्ण जी की सखी भी थी उन्होंने आंचल का पल्लू फाड़कर उनकी कटी अंगुली में बांध दिया। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन से रक्षासूत्र या राखी बांधने की परंपरा शुरू हुई। जैसा कि आप सब जानते हैं कि जब द्रौपदी का चीरहरण किया जा रहा था तब श्रीकृष्ण ने ही उनकी लाज बचाकर सबसे उनकी रक्षा की थी।
रक्षाबंधन 2023 तिथि और शुभ मुहूर्त
- सावन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि आरंभ- 10 बजकर 58 मिनट से (30 अगस्त 2023)
- पूर्णिमा तिथि समापन- सुबह 7 बजकर 5 मिनट पर (31 अगस्त)
- रक्षाबंधन की तिथि- 30 और 31 अगस्त 2023
- राखी बांधने का शुभ मुहूर्त- 30 अगस्त को रात 9 बजकर 1 मिनट से 31 अगस्त सुबह 7 बजकर 5 मिनट तक
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। इंडिया टीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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