Radha Kund Snan 2023: अहोई अष्टमी के दिन राधा कुंड में स्नान करने का उतना ही महत्व है जितना अहोई अष्टमी का व्रत रखने का। विशेष तौर पर यहां स्नान करने से अनेक लाभ होते हैं और श्री राधा रानी और भगवान श्री कृष्ण की असीम कृपा प्राप्त होती है। मथुरा से लगभग 27 किलोमीटर की दूरी पर गोवर्धन परिक्रमा मार्ग में राधा कुंड पड़ता है।
मथुरा की 84 कोस की परिक्रमा मार्ग के अंतर्गत यह कुंड आता है। इस कुंड में प्रत्येक वर्ष अहोई अष्टमी के दिन स्नान करने का बड़ा महत्व माना जाता है। आज हम आपको इस कुंड में स्नान के महत्व से लेकर इसके निर्माण तक के बारे में बताने जा रहे हैं।
राधा कुंड में स्नान करने से होती है संतान प्राप्ति
मान्यता है कि राधा कुंड में स्नान करने से संतान की प्राप्ति होती है। अहोई अष्टमी के दिन राधा कुंड में स्नान करने की प्रथा वर्षों पुरानी है। माना जाता है कि जिन दंपत्तियों की संतान नहीं होती है यदि वो इस दिन राधा कुंड में स्नान कर लें तो उन्हें संतान की शीघ्र प्राप्ति हो जाती है। प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन राधा कुंड में स्नान करने लाखों श्रद्धालु आते हैं। जो भी संतान प्राप्ति की कामना से यहां स्नान करने आता है उसकी मनोकामना शीघ्र पूरी हो जाती है।
राधा कुंड से जुड़ी पौराणिक कथा
एक समय की बात है जब भगवान कृष्ण अपने मित्रों के साथ गोवर्धन पर्वत के पास गाय को चारा खिला रहे थे। उसी समय अरिष्टासुर नाम के राक्षस ने गाय का रूप धारण कर कृष्ण जी पर हमला कर दिया। भगवान श्री कृष्ण समझ गए की गाय के रूप में यह कोई राक्षस है। उसके बाद श्री कृष्ण ने उस राक्षस का वध कर दिया। अरिष्टासुर ने गाय का रूप धारण किया था इसलिए श्री कृष्ण पर गौ हत्या का पाप लग गया था। पाप का प्रायश्चित करने के लिए उसी जगह श्री कृष्ण ने अपनी बांसुरी से एक कुंड का निर्माण किया और वहां स्नान किया। इसके ठीक बगल राधा जी ने भी अपने कंगन से एक कुंड का निर्माण किया और उसमे उन्होनें भी स्नान किया। तब से इस कुंड का नाम राधा कुंड पड़ गया।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। । इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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