Radha Ashtami 2023: राधाष्टमी का क्या है विशेष महत्व? इस मंदिर में होते हैं राधा रानी के बाल स्वरूप के दर्शन
Radha Ashtami 2023: आज राधा अष्टमी का खास दिन है। इस दिन राधा जी के साथ ही भगवान कृष्ण की अराधना करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। तो आइए जानते हैं राधाष्टमी के महत्व के बारे में।
Radha Ashtami 2023: आज मथुर-वृंदावन और बरसाना समेत पूरे देश में राधा अष्टमी पूरे धूमधाम से मनाई जा रही है। आज के दिन राधा रानी और भगवान कृष्ण की पूजा का विधान है। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधा जयंती के रूप में मनाया जाता है। कहते हैं कि जो भी भक्त आज के दिन व्रत रख विधि-विधान के साथ राधा-कृष्ण की पूजा करता है उसकी हर मनोकामना पूरी हो जाती है। आपको बता दें कि कृष्ण जन्माष्टमी के 15 दिनों के बाद पूरे बृष में राधाष्टमी महोत्सव काफी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। राधा जन्मोत्स की खास रौनक बरसाना में देखने को मिलता है। पौराणिक मान्यताओं क मुताबिक, राधा रानी का जन्म बरसाना रावल गांव बृजभूमि में हुआ था।
राधा अष्टमी पूजा विधि
- राधाष्टमी के दिन स्नान कर साफ-सुथरे कपड़े पहन लें।
- इसके बाद मंदिर या पूजा घर को साफ कर गंगाजल छिड़कर पूजा स्थल को शुद्ध कर लें।
- पांच रंग के चूर्ण से मंडप बनाकर उसके भीतर षोडश दल के आकार का कमलयंत्र बनाएं।
- उस कमल के मध्य में दिव्यासन पर श्री राधाकृष्ण की मूर्ति पश्चिमाभिमुख स्थापित करें
- अब एक चौकी पर राधा-कृष्ण की मूर्ति स्थापित करें।
- फिर राधा रानी और कान्हा जी की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराकर उनका श्रृंगार करें।
- इसके बाद राधा-कृष्ण को धूप,दीप, फल, फूल आदि पूजा सामग्री चढ़ाएं।
- फिर श्री राधा-कृष्ण जी को भोग लगाएं।
- अब राधा-कृष्ण की की आरती उतारें और मंत्र का जाप करें।
राधाष्टमी का महत्व
भगवान कृष्ण और राधा जी प्रेम की सबसे बड़ी मूर्ति और प्रतीक हैं। ऐसे में राधा अष्टमी के दिन राधा रानी की आराधना करने से आपका भी प्रेम अटूट हो जाएगा। इसके अलावा जिन पति-पत्नी के बीच आपसी मतभेद हैं वे राधा जी के साथ भगवान कृष्ण की पूजा करें। उनका दांपत्य जीवन खुशहाल बन जाएगा। कहते हैं कि इस दिन जो लोग कृष्ण राधा की एक साथ सच्चे मन से आराधना करते हैं उनका वैवाहिक जीवन सुखमय होता है। साथ जिनकी शादी नहीं हुई है उन्हें मनचाहा जीवनसाथी मिलता है।
इस मंदिर में होते राधा के बाल स्वरूप के दर्शन
जो भी भक्त भगवान कृष्ण के दर्शन के मथुरा-वृंदावन जाता है वो बरसाना भी जरूर जाने की कोशिश करता है। बरसाना राधा रानी का गांव माना जाता है। यहां उनके कई प्रसिद्ध मंदिर हैं, जिनसे कई मान्यताएं भी जुड़ी हुई हैं। बरसाना के कीर्ति मंदिर में राधा रानी अपना मां की गोद में विराजमान है। इस मंदिर में राधा रानी के जीवन से जुड़ी कई झांकियां भी देखने को मिलती हैं।
बरसाना के ये मंदिर भी है काफी प्रसिद्ध
राधा अष्टमी पर 'बरसाने की लाडली जी का मंदिर' में भी भक्तों की काफी भीड़ उमड़ती है। इस मंदिर को 'राधारानी महल' भी कहा जाता है। वहीं अगर बरसाना जा रहे हैं तो ललिता मंदिर का दर्शन भी जरूर करना चाहिए। पौराणिक कथा के मुताबिक, धा रानी का आठ सखियां थी। जिनके नाम चंद्रावली, श्यामा, शैव्या, राधा, ललिता, विशाखा, तथा भद्रा था। इनमें राधा जी की सबसे करीब ललिता थीं। ललिता मंदिर ललिता देवी को ही समर्पित हैं।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इंडिया टीवी इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)
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