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Lohri 2024: क्यों जलाई जाती है लोहड़ी के त्योहार में आग? इसके पीछे जुड़ी है ये मान्यता

कल लोहड़ी का त्योहार देश भर में धूम-धाम से मनाया जाएगा। इस त्योहार को लेकर लोगों में बड़ा उत्साह भी है। लोहड़ी का पर्व मुख्य तौर पर फसलों और प्रकृति के प्रति अपनी गहरी आस्था प्रकट करने का है। इस दिन लोग आग जलाकर इस त्योहार को मनाते हैं। आइए जानते हैं इस पर्व को आग जलाकर क्यों मनाया जाता हैं।

Lohri 2024- India TV Hindi Image Source : INDIA TV Lohri 2024

Lohri 2024: लोहड़ी का त्योहार खुशियों की उमंगो का त्योहार है। यह पर्व हर साल मकर संक्रांति से ठीक एक दिन पहले मनाया जाता है। इस लिहाज से मकर संक्रांति का त्योहार 15 जनवरी 2024 को मनाया जाएगा। वहीं लोहड़ी इस साल 14 जनवरी 2024 दिन रविवार को कल मनाई जाएगी। लोहड़ी के त्योहार को सिख समुदाय के लोग बड़े धूम-धाम से मनाते हैं। वहीं यह त्योहार प्राकृति को भी समर्पित होता है। लोहड़ी का त्योहार अलाव जलाकर ही क्यों मनाया जाता है। आइए जानते हैं इसके पीछे क्या मान्यता छिपी हुई है।

लोहड़ी के दिन आग जलाने का महत्व

  • लोहड़ी के पर्व में आग जलाने के पीछे कई मान्यताएं हैं। लोहड़ी के दिन जलाई जाने वाली आग को अग्नि देवता का प्रतीक माना जाता है। अग्नि देवता को प्रकाश, ऊर्जा, और शुद्धता का देवता भी कहा गया है। लोहड़ी वाले दिन लोग आग जलाकर अग्नि देवता को प्रसन्न करते हैं और उनकी कृपा प्राप्त करते हैं।
  • लोहड़ी वाले दिन से सर्दियां हल्की होने लगती हैं। सर्दियों की ठंड से बचने के लिए लोग आग जलाते हैं। मान्यता है कि लोहड़ी की आग को जलाने से सर्दियों का अंत और गर्मियों की शुरुआत होने लगती है।
  • वहीं लोहड़ी का त्योहार किसाने की आस्था से भी जुड़ा हुआ है। यह त्योहार प्रकृति को भी समर्पित होता है। ऐसे में लोग आग जलाकर अच्छी फसल की कामना करते हैं। इसलिए लोहड़ी की आग में तिल, गुड़, मूंगफली समेत अन्य सामग्रियों का लोग अग्नि देव को भोग लगाते हैं और प्रार्थना करते हिए उनसे अच्छी फसल की कामना करते हैं। जो चीजें अग्नि देव को भोग में चढ़ाई जाती है उसे नई फसल की पूजा के रूप में देखा जाता है।
  • इसके अलावा लोहड़ी में आग जलाने के पीछे कुछ अन्य कारण भी हैं। जैसे की आग को शुद्धता का प्रातीक माना जाता है। अग्नि से नकारात्मक वातावरण समाप्त होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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