Chhath Puja 2023: आज महाछठ पर्व का तीसरा दिन है। हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन छठ पर्व में ढूबते सूर्य को अर्घ्य देने और उनकी पूजा करने की परंपरा है। आज 19 नवंबर 2023 दिन रविवार को ढलते सूर्य देव को व्रती महिलाएं अर्घ्य देंगी। यह त्योहार सूर्य उपासना एवं लोक आस्था का महापर्व है। बिहार, उत्तर प्रदेश समेत झारखंड जैसे राज्यों में यह बड़ी आस्था के साथ मनाया जाता है।
आज के दिन से सूर्य भगवान को अर्घ्य देने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। छठ पूजा की एक विशेष बात यह है कि इसमें उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही साथ ढलते सूर्य को भी अर्घ्य देकर उनकी पूजा की जाती है। इसलिए यह पर्व अपने आप में इतना महत्व रखता है। आइये जानते हैं कि छठ पर्व में ढलते सूर्य को क्यों अर्घ्य दिया जाता है और इसका क्या धार्मिक महत्व है।
छठ पूजा में ढलते सूर्य को भी दिया जाता है अर्घ्य
छठ पूजा का पर्व ऐसे ही अपने आप में इतना लोकप्रिय और आस्था से जुड़ा पर्व नहीं माना जाता है। यह एकमात्र ऐसा पर्व है जिसमें उगते सूर्य को ही नहीं, बल्कि ढलते सूर्य को भी अर्घ्य दिया जाता है। मान्यता है कि सूर्यास्त के समय सूर्य देव अपनी दूसरी अर्धांगनी प्रत्यूषा के साथ होते हैं। जिनकों उस समय अर्घ्य देकर उनकी पूजा करने से तुरंत ही शुभ फल की प्राप्ति होती है। जिस मनोकामना से छठ का व्रत रखा जाता है, वह शीघ्र ही बिना किसी देरी के पूरी होती है। शाम के समय ढलते सूर्य को अर्घ्य देने से जीवन की सभी समस्याएं भगवान भास्कर की कृपा से दूर हो जाती हैं।
आज ढलते सूर्य को अर्घ्य देने का समय
आज सूर्यास्त का समय 19 नवंबर 2023 दिन रविवार को शाम 5 बजकर 25 मिनट पर है। आज इस समय पर छठ पर्व के तीसरे दिन सूर्य भगवान को पहला अर्घ्य दिया जाएगा। इसे अस्ताचलगामी सूर्य अर्घ्य कहा जाता है, जिसका अर्थ है ढलते हुए सूर्य को अर्घ्य देना।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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