Shardiya Navratri 2024: इस साल शारदीय नवरात्रि का आरंभ 3 अक्टूबर से हो चुका है, जिसका समापन 12 अक्टूबर को होगा। नवरात्रि के नौ दिनों तक माता दुर्गा के अलग-अलग रूपों की उपासना की जाती है। नवरात्रि में मां भगवती को प्रसन्न करने के लिए देवी के भक्त तरह-तरह के उपाय अपनाते हैं। वहीं नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना किया जाता है और अखंड ज्योत भी जलाई जाती है। कलश पर नारियल भी रखा जाता है जिसमें कलावा बांधा जाता है। आखिरी नारियल में कलावा बांधने के पीछे का क्या कारण है आइए जानते हैं।
1. हिंदू धर्म में हर पूजा पाठ और धार्मिक अनुष्ठान में नारियल का उपयोग जरूर किया जाता है। नारियल के बिना कोई भी पूजा पूरी नहीं माना जाती है। हालांकि शिवलिंग की पूजा में नारियल वर्जित माना गया है। नारियल की सतह पर दिखाई देने वाले तीन बिंदुओं को त्रिदेव यानी कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक माना गया है। मान्यता है कि जब नारियल पर कलावा या लाल धागा लपेटा जाता है तो यह एक तरह से देवी-देवताओं का आह्वान होता है।
2. मान्यता है कि नारियल पर कलावा लपेटते समय अगर कोई मनोकामना बोलते हैं तो वो शीघ्र पूर्ण होती है। इसके साथ ही नारियल पर कलावा लपेटने से घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। कलावा को पवित्र धागा माना जाता है पूजा में इसके इस्तेमाल से घर से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है।
3. नारियल में कलावा लपेटने से घर में लक्ष्मी का वास होता और आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। नारियल में कलावा लपेटकर पूजा करने धर का भंडार धन-धान्य से भरा रहता है। व्यक्ति को कभी भी पैसें से जुड़ी दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ता है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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