Nag Panchami 2024: यहां साक्षात विराजमान है नागराज तक्षक, नाग पंचमी के दिन होते हैं दर्शन, साल में सिर्फ 24 घंटे के लिए खुलता है यह मंदिर
Nag Panchami 2024: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नागराज तक्षक का यह प्रसिद्ध मंदिर साल में सिर्फ एक दिन के लिए खुलता है। यहां भगवान शिव और माता पार्वती शेषनाग की शैय्या पर विराजमान हैं।
Nag Panchami 2024: आज नाग पंचमी के पावन अवसर पर हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां साक्षात नागराज तक्षक विराजमान हैं। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि नागों के राजा तक्षक स्वयं इस मंदिर में मौजूद हैं। नागों के राजा का यह मंदिर साल में सिर्फ एक दिन के लिए खुलता है और वो मौका होता है नाग पंचमी का। नाग पंचमी के दिन नागराज की पूजा और दर्शन के लिए दूर-दराज से भक्तगण यहां आते हैं। तो चलिए जानते हैं इस मंदिर के बारे में।
साल में सिर्फ नाग पंचमी के दिन ही खुलता है यह मंदिर
उज्जैन को महाकाल की नगरी कहा जाता है। यहां 12 ज्योतिर्लिंग में से एक विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर स्थित है, जहां रोजाना दर्शन के लिए हजारों की संख्या में शिवभक्त आते हैं। लेकिन आपको बता दें कि उज्जैन में ही एक ऐसा मंदिर भी है जिसे लेकर लोगों की गहरी और अटूट मान्यताएं हैं। हम बात कर रहे हैं उज्जैन में स्थित प्राचीन मंदिर नागचंद्रेश्वर मंदिर के बारे में जो कि महाकाल मंदिर के तीसरी मंजिल पर स्थित है। इस मंदिर में नाग पर विराजित भगवान शिव और माता पार्वती की अति दुर्लभ मूर्ति है। मान्यता है कि मंदिर में नागचंद्रेश्वर की प्रतिमा के दर्शन और पूजन से भोलेनाथ और मां गौरी दोनों ही अति प्रसन्न होते हैं साथ ही सर्प भय से भी मुक्ति मिलती है। नागचंद्रेश्वर के कपाट साल में सिर्फ एक बार नाग पंचमी के दिन सिर्फ 24 घंटे के लिए खुलते हैं।
नागचंद्रेश्वर मंदिर
नागचंद्रेश्वर मंदिर नाग पंचमी दिन खुलता है। नाग देवता की प्रतिमा पर दूध चढ़ाने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते हैं। नागचंद्रेश्वर मंदिर में स्थापित प्रतिमा में शेषनाग की सैय्या पर भगवान शिव और पार्वती के साथ भगवान गणेश और कार्तिक भी विराजमान हैं। बताया जाता है कि यह प्रतिमा नेपाल से लाई गई थी। बता दें कि महाकालेश्वर मंदिर में स्थित भगवान नागचंद्रेश्वर के पट परंपरा अनुसार 8 अगस्त को ही रात्रि 12 बजे खोल दिए गए थे। भगवान नागचंद्रेश्वर के पूजन के बाद मंदिर में रात से ही श्रद्धालु दर्शन कर रहे हैं। दर्शन का यह सिलसिला लगातार 24 घंटे तक चलता रहेगा।
नागचंद्रेश्वर मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के मुताबिक, नागराज तक्षक ने देवों के देव महादेव को प्रसन्न करने से घोर तप किया था। सर्पराज तक्षक की तपस्या से खुश होकर भगवान शिव ने उन्हें अमरत्व का वरदान दिया था। लेकिन इस वरदान को पाने बाद भी तक्षक खुश नहीं थे तब उन्होंने भोलेनाथ से कहा कि वह हमेशा उनके सानिध्य में रहना चाहते हैं, इसलिए उन्हें महाकाल वन में ही रहने दिया जाए। भगवान शिव ने उन्हें महाकाल वन में रहने का आशीर्वाद दिया। नागराज तक्षक के एकांतवास में किसी भी तरह का विघ्न न पड़े इसलिए उनके मंदिर को साल में सिर्फ एक बार खोला जाता है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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