Nag Panchami 2023: सोमवार को है नाग पंचमी, सर्प दंश या काल सर्प दोष से छुटकारा पाने के लिए इन नागों की करें पूजा
Nag Panchami 2023: अगर आप काल सर्प दोष और सर्प दंश से छुटकारा पाना चाहते हैं तो नाग पंचमी के दिन इन नागों की पूजा करनी चाहिए।
Nag Panchami 2023 Significance: सोमवार, 21 अगस्त 2023 को नाग पंचमी मनाई जाएगी। हर साल सावन शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का पर्व मानाने का विधान है। हमारे देवताओं के बीच नागों का हमेशा से अहम स्थान रहा है। उदाहरण के लिए आप देख सकते है कि विष्णु जी शेष नाग की शैय्या पर सोते हैं और भगवान शंकर अपने गले में नागों को यज्ञोपवीत के रूप में रखते हैं। भगवद्गीता में भगवान कृष्ण ने अपने को सर्पों में वासुकि और नागों में अनंत कहा है।
अलग-अलग तरीके से की जाती है नाग पंचमी की पूजा
दक्षिण भारत में नाग पंचमी के दिन लकड़ी की चौकी पर लाल चंदन से सर्प बनाए जाते हैं या मिट्टी के पीले या काले रंगों के सांपों की प्रतिमाएं बनाई या खरीदी जाती हैं और उनकी दूध से पूजा की जाती है। कई घरों में दीवार पर गेरू पोतकर पूजन का स्थान बनाया जाता है। फिर उस दिवार पर कच्चे दूध में कोयला घिसकर उससे एक घर की आकृति बनाई जाती है और उसके अन्दर नागों की आकृति बनाकर उनकी पूजा की जाती है। साथ ही कुछ लोग घर के मुख्य दरवाजे के दोनों तरफ हल्दी से, चंदन की स्याही से अथवा गोबर से नाग की आकृति बनाकर उनकी पूजा करते हैं।
सर्प दंश या कालसर्प से छुटकारा पाने के लिए इन नागों की करें पूजा
नाग पंचमी का ये त्योहार सर्प दंश के भय से मुक्ति पाने के लिए और कालसर्प दोष से छुटकारा पाने के लिए मनाया जाता है। लिहाजा अगर आपको भी इस तरह का कोई भय है या आपकी कुंडली में कालसर्प दोष है तो उससे छुटकारा पाने के लिए आज आपको इन आठ नागों की पूजा करनी चाहिए- वासुकि, तक्षक, कालिय, मणिभद्र, ऐरावत, धृतराष्ट्र, कर्कोटक और धनंजय।
इस तरह करें नाग पंचमी की पूजा
बता दें कि प्रत्येक जन्म पत्रिका में राहु से केतु सातवें खाने में होता है और काल सर्प दोष का मतलब है सारे ग्रहों का राहु और केतु के एक ही तरफ होना। अतः आपकी जन्मपत्रिका में ऐसी स्थिति बन रही है तो आपको आज नाग पंचमी की पूजा जरूर करनी चाहिए। लेकिन अगर आपकी पत्रिका में कालसर्प दोष नहीं है, तब भी आपको आज दिशाओं के क्रम में नागों की पूजा जरूर करनी चाहिए। क्योंकि राहु तो सभी की जन्मपत्रिका में होता है। लिहाजा कालसर्प दोष हो या न हो, राहु संबंधी समस्या की शांति के लिए दिशाओं के सही क्रम में पूजा करना सभी के लिए फलदायी साबित होगा।
मालूम हो कि राहु सर्प का मुख है और केतु सर्प की पूंछ है चूंकि पूजन मुख में करना उचित है। लिहाजा आपको ये देखना है कि आपकी जन्म पत्रिका के किस खाने में राहु बैठा हुआ है और फिर उसी के अनुसार सही दिशा में नाग पंचमी की पूजा करनी है। सबसे पहले आपको एक वर्ग बनाना हैं। इस वर्ग के अनुसार, ईशान कोण, यानि उत्तर-पूर्व दिशा में वासुकि नाग की पूजा करनी चाहिए, पूर्व में तक्षक की, दक्षिण-पूर्व में कालिय की, दक्षिण में मणिभद्र की, दक्षिण-पश्चिम में ऐरावत की, पश्चिम में ध्रतराष्ट्र की, उतर-पश्चिम में कर्कोटक की और उत्तर में धनंजय नामक नाग की पूजा करनी चाहिए।
(आचार्य इंदु प्रकाश देश के जाने-माने ज्योतिषी हैं, जिन्हें वास्तु, सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का लंबा अनुभव है। इंडिया टीवी पर आप इन्हें हर सुबह 7.30 बजे भविष्यवाणी में देखते हैं।)
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