महाकुंभ में पहले अमृत स्नान के दिन नाचते-गाते, हर्ष मनाते नागा साधुओं की टोली देखते ही बन रही थी। कुछ नागा के हाथों में शस्त्र, कुछ के हाथों में चिमटा नजर आ रहा था। टोली में कुछ नागा बिना कपड़ों और कुछ कपड़ों के साथ नजर आ रहे थे। ऐसे में सवाल बनता है कि ऐसा क्यों है कि कुछ के बदन पर लंगोटी या कोई कपड़ा दिख रहा और कुछ बना कपड़ों के नजर आ रहे। क्या ये अलग-अलग होते हैं, अगर हां तो कौन है ये? आइए जानते हैं इस सवाल का जवाब..
नागाओं की टोली अक्सर कुंभ, महाकुंभ में शोभा बढ़ा देती है। इन नागा साधुओं के भी कुछ नियम कायदे उनके अखाड़ों द्वारा तय रहते हैं। साथ कठिन परीक्षा के समय ही ये दो अलग-अलग श्रेणियों में बंट जाते हैं। नागा साधुओं की कमांडों से ज्यादा कठिन ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है, उन्हें हिमालय के माइनस टेंपरेचर में भी बिना कपड़ों के तप करना पड़ता है, जबकि साइंस कहता है कि माइनस 10 टेंपरेचर में बिना कपड़ों के महज 2.5 घंटे तक जीवित रह सकता है।
मानने होते हैं ये नियम
इसके अलावा, नागा साधु को भिक्षा के लिए भी नियम से बांधा गया है। एक नागा साधु दिन में महज एक ही समय मात्र 7 घरों में भिक्षा मांग सकता है, अगर फिर भी उन्हें भिक्षा नहीं मिली तो उन्हें भूखा ही रहना होगा। इसके अलावा, उन्हें हमेशा जमीन पर ही सोना होता है, बिस्तर पर वे नहीं सो सकते। इसके अलावा, नागा को पूरे जीवन केवल पैदल ही चलना होता है।
कितने प्रकार के होते हैं नागा साधु
इस सवाल का जवाब है कि पुरुष नागा साधुओं में दो प्रकार होते हैं दिगंबर और श्रीदिगंबर। दिगंबर साधु को एक लंगोटी धारण करने की अनुमति होती है। वहीं, श्रीदिगंबर नागा साधु को बिना कपड़े के रहना होता है, हालांकि यह नागा साधु का यह उनका चयन होता है कि उन्हें शरीर पर कुछ वस्त्र धारण करना है या फिर पूरी तरह से निर्वस्त्र ही रहना है। वहीं, महिला नागा साधुओं के लिए यह नियम है कि उन्हें केसरिया वस्त्र धारण करना ही होगा। श्रीदिगंबर नागा की इंद्री नस खींच दी जाती है, जो कि काफी कठिन परीक्षा मानी जाती है।