Mahakumbh: कल्पवास सभी के बस की बात नहीं, सीधे मिलता है 9 साल की तपस्या के बराबर फल; काफी कठिन हैं नियम
Mahakumbh 2025: महाकुंभ में कल्पवास एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान माना गया है, जो जातक को मानसिक, आत्मिक और शारीरिक शुद्धि देती हैऔर पापों से मुक्ति दिलाने में सहायक बनती है।
Kumbha Mela 2025: हिन्दूओं के सबसे बड़े आस्था का प्रतीक महाकुंभ इस बार यूपी के प्रयागराज जिले में लग रहा है। 13 जनवरी से इसकी शुरूआत हो रही है, हालांकि पहला शाही स्नान 14 जनवरी को है। महाकुंभ हर 12 साल पर एक बार देश के महज 4 जगहों पर ही आयोजित होता है। इस अनुष्ठान में करोड़ों लोग संगम नदीं में स्नान करने और धार्मिक आयोजन करने के लिए इकट्ठा होते हैं। इस दौरान कई साधु यहां तपस्या करते हैं तो कई कल्पवास करते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि क्या होता है कल्पवास और क्या हैं इसके नियम?
कल्पवास क्या है?
कल्पवास, एक प्रकार से साधना और तपस्या का ही रूप है, जिसमें जातक को 3 रात, 3 माह, 6 माह, 12 साल या आजीवन किसी भी पवित्र नदी के किनारे तंबू बनाकर रहना होता है और साधना करना होता है। इसे 'कल्प' कहा जाता है। साधक इस दौरान बेहद संयमित जीवन जीते हैं और अपने पापों का नाश करने के लिए आत्मशुद्धि की साधना करते हैं। इस दौरान वे पवित्र नदी में स्नान करते हैं, किनारे पर उपवास, प्रार्थना और ध्यान में लीन रहते हैं। ऐसा कहा जाता है कि एक बार का कल्पवास, बिना कुछ खाए-पिए 9 साल तपस्या करने के समान होता है।
कल्पवास के नियम
कल्पवास करना हर किसी के बस की बात नहीं होती है, ये बेहद कठिन साधना होती है। कल्पवास के दौरान कुछ नियमों का पालन करना बेहद जरूरी होता है वरना तपस्या भंग मानी जाती है।
- साधक को कल्पवास के दौरान झूठ नहीं बोलना होता। साथ ही अहिंसा से रहना होता है, इस दौरान उनसे चींटी भी नहीं मरनी चाहिए यानी सभी प्राणियों पर दयाभाव बनाए रखना होगा।
- साधक को कल्पवास के पूरा होने तक ब्रह्मचर्य का पालन करना, सभी व्यसनों का त्याग,
- साधक को ब्रह्ममुहूर्त में उठना, रोजाना 3 बार नदी में स्नान और जप करना होगा। इसके बाद दान करना होगा।
- जातक को कल्पवास के दौरान किसी भी निंदा नहीं करनी चाहिए। साथ ही संकल्पित क्षेत्र से बाहर भी नहीं जाना होगा।
- कल्पवास के दौरान जातक को एक ही बार भोजन करना होगा, साथ ही जमीन पर सोना होगा।
- इसके अलावा, कल्पवासी को साधुओं की सेवा, पिंडदान, अग्नि सेवन और अतं में देव पूजन करना होगा।
कल्पवास का लाभ
कल्पवास करने वाले जातक को मनोवांछित फल मिलता है। साथ ही आत्मिक और शारीरिक शांति की भी अनुभूति होती है। आइए जानते हैं और क्या-क्या लाभ मिलता है..
- इस दौरान की गई तपस्या और साधना से व्यक्ति के सभी पाप खत्म हो जाते हैं और उसे पुण्य की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि इस समय भगवान की कृपा भी मिलती है जिससे जीवन के सारे दुख समाप्त हो जाते हैं।
- कल्पवास करने से व्यक्ति की आत्मिक सुख मिलता है। यह एक प्रकार से मानसिक और शारीरिक शुद्धि का उपाय भी माना जाता है, जिससे व्यक्ति अपने जीवन में संतुलन और शांति हासिल करता है।
- कल्पवास के दौरान बहुत से लोग समाज सेवा और धार्मिक कार्यों में भी शामिल होते हैं। वे आश्रय, भोजन, और अन्य जरूरतें भी मुहैया कराते हैं, जिससे समाज में एकता और सहयोग की भावना को बल मिलता है।
- कल्पवास का आयोजन बड़े स्तर पर होता है, जिससे लाखों लोग इकट्ठा होते हैं। यह एकता और भाईचारे को बढ़ावा देता है, क्योंकि लोग एक ही उद्देश्य से इकट्ठा होते हैं - आत्मशुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)