Mahakumbh 2025: नागा साधुओं का अंतिम संस्कार कैसे होता है?
Mahakumbh: नागा साधुओं का अंतिम संस्कार उनकी तपस्या और साधना के अनुसार किया जाता है। उनकी समाधि विधि उनके त्याग, साधना और मोक्ष की राह को दर्शाती है।
Kumbh Mela 2025: महाकुंभ 2025 की शुरुआत 13 जनवरी से हो रही है, इसी बीच प्रयागराज में अखाड़ों, नागा साधुओं और धर्म संसद के संतों का जमावड़ा लगना शुरू हो चुका है। महाकुंभ में हमेशा नागा साधुओं की अलग ही पहचान देखने को मिलती है, शरीर पर भस्म रगड़े उनकी टोली औरों से एकदम अलग होती है। नागा साधुओं का जीवन अनेक रहस्यों से भरा हुआ है। किसी को नहीं पता वो महाकुंभ में कहां से आते हैं और आयोजन खत्म होने के बाद कहां चले जाते हैं। उनके जीवन रहस्यों से भरा हुआ है, ऐसे में आइए जानते हैं कि नागा साधुओं का अंतिम संस्कार कैसे होता है, लेकिन उससे पहले जानते हैं कि क्यों बनाई गई थी नागा साधुओं की टोली?
क्यों बनाई गई थी नागा साधुओं की टोली?
नागा साधु घोर तपस्या से अपने जीवन में सबकुछ त्याग कर चुके होते हैं और ऐसे में इन्हें इंसानों में सबसे पवित्र माना जाता है। नागा साधु बनने में कम से कम 6 साल की कठिन साधना लगती है, साथ ही कई सालों तक गुरुओं की सेवा करनी होती है। ऐसा कहा जाता है कि आदि शंकराचार्य ने जब 4 मठों की स्थापना की तो दुष्टों से इन मठों की रक्षा के लिए नागा साधुओं की एक टोली बनाई। तब से नागा साधु की टोली देश और धर्म की रक्षा करते आ रहे हैं। जब इनका समय पूरा हो जाता है तो इनका अंतिम संस्कार अन्य लोगों की तरह नहीं होता।
कैसे होता है नागा साधुओं का अंतिम संस्कार?
नागा साधुओं का हिंदू धर्म में विशेष स्थान होता है, ये अपनी कठोर तपस्या, सादगीपूर्ण जीवन और अद्वितीय परंपराओं के लिए जाने जाते हैं। उनका जीवन ही नहीं, बल्कि उनका अंतिम संस्कार भी आम लोगों से काफी अलग होता है।
अंतिम संस्कार की परंपरा
नागा साधु का अंतिम संस्कार सामान्य दाह संस्कार से एकदम अलग होता है। उनके अंतिम संस्कार की विधि को ‘जल समाधि’ या ‘भू समाधि’ कहा जाता है। आइए समझते हैं इसे...
कैसे होती है भू समाधि?
जब किसी नागा साधु का देहांत होता है, तो उनके शरीर को पूरी श्रद्धा और सम्मान के साथ तैयार किया जाता है। पहले मृत शरीर को पवित्र गंगाजल और अन्य पवित्र वस्त्रों से स्नान कराया जाता है। फिर उनके शरीर को आसन की मुद्रा में बैठाकर समाधि स्थल पर रख दिया जाता है।
समाधि स्थल एक तरह का गड्ढा होता है, जो संत के पद के मुताबिक, गहराई और आकार में तैयार किया जाता है। फिर उन्हें मंत्रोच्चारण और पूजा के साथ गड्ढे में बैठाकर मिट्टी से ढक दिया जाता है।
कैसे होती है जल समाधि?
अगर नागा साधु की इच्छा होती है, तो उनका शरीर किसी पवित्र नदी, विशेष रूप से गंगा में जल समाधि के लिए समर्पित किया जाता है। यह प्रक्रिया साधु की इच्छा और उनके अखाड़े की परंपरा पर निर्भर करती है।
अंतिम संस्कार के दौरान मंत्रोच्चारण और हवन भी होता है। नागा साधुओं के शिष्यों और उनके अखाड़े के साधु इस प्रक्रिया को करते हैं। यह पूरी प्रक्रिया साधु की इच्छाओं और परंपराओं का पालन करते हुए पूरी की जाती है।
अंतिम संस्कार का महत्व
दरअसल, नागा साधु मानते हैं कि उनका शरीर पंचमहाभूत (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश) से मिलकर बना है और मृत्यु के बाद इसे इन्हीं तत्वों में समाहित हो जाना चाहिए। ऐसे में नागा साधुओं की मौत के बाद उन्हें भू समाधि या फिर जल समाधि दी जाती है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)