Maha Shivratri 2023: शिवलिंग के मंदिर के छत को छूते ही आ जाएगा प्रलय, महाशिवरात्रि से पहले जानिए इन अनोखे शिव मंदिरों के बारे में
Maha Shivratri 2023 Famous Shiv Temple: महाशिवरात्रि के मौके पर शिव मंदिर के दर्शन करने से हर मनोकामना की पूर्ति होती है। आज हम आपको ऐसे शिव मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो काफी अनोखे हैं। इन मंदिरों को लेकर अलग-अलग मान्यता है।
MahaShivratri 2023: महाशिवरात्रि का महापर्व आने में अब बस चंद दिन ही बाकी हैं। शिवभक्तों के लिए यह दिन विशेष महत्व रखता है। वे पूरे साल शिवरात्रि का बेसब्री से इंतजार करते हैं। इस पावन अवसर पर पूरे देश के शिव मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहता है। धार्मिक मान्यता है कि महाशिवरात्रि पर शिवलिंग पर जल चढ़ाने और शिव-गौरी के दर्शन करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। तो आइए आज जानते हैं भारत के प्रसिद्ध और अनोखे शिव मंदिरों के बारे में, जिसे लेकर भक्तों में गहरी आस्था है।
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रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग (तमिलनाडु)
रामेश्वरम सनातन धर्म का एक पवित्र तीर्थ है। यह तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित है। यह तीर्थ चार धामों में से एक है। इसके अलावा यहां स्थापित शिवलिंग बारह द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। भारत के उत्तर मे काशी की जो मान्यता है, वहीं दक्षिण में रामेश्वरम् की है। मान्यता है कि भगवान राम ने
समुद्र पर सेतु बनाने से पूर्व यहां शिवलिंग की स्थापना की और शिव की नई पूजा की, इसीलिए इन्हें रामेश्वरम कहा जाता है। वहीं ये भी कहा जाता है कि जिन शिव के ईश्वर राम हैं वही रामेश्वर हैं।
टूटी झरना मंदिर (झारखंड)
टूटी झरना मंदिर झारखंड के रामगढ़ में स्थित है। इस मंदिर का सबसे बड़ी विशेषता यह है कि जिस इस मंदिर में स्थापित पवित्र शिवलिंग का प्राकृतिक रूप से लगातार अभिषेक होता रहता है। पहले यहां पर चट्टानों से जल शिवलिंग पर गिरता था। बाद में उस स्थान पर मां गंगा की मूर्ति इस तरह से बना दी गई। जैसे मां गंगा के हाथों से निकलने वाले जल से शिवलिंग का अभिषेक दिखने लगा और ये साल के बारह मास होता रहता है। मान्यता है कि यहां मांगी गयी मुराद अवश्य पूरी होती है।
पौड़ीवाला शिवधाम (हिमाचल प्रदेश)
हिमाचल के सिरमौर जिले के नाहन से सात किलोमीटर की दूरी पर यह शिवधाम स्थित है। इस मंदिर में तीन-चार फुट ऊंचा शिवलिंग स्थापित है। ऐसी मान्यता है कि यह शिवलिंग त्रेता युग का है और प्रतिवर्ष चावल के दाने के समान बढ़ता है। पौड़ीवाला शिवधाम स्वर्ग की दूसरी पौड़ी के नाम से विख्यात है। ऐसी भी मान्यता है कि पौड़ी वाला स्थित इस शिवलिंग में साक्षात शिव शंकर भगवान विद्यमान है, जहां आने वाले हर श्रद्धालु की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। कहा जाता है कि पौड़ीवाला शिवधाम में शिवलिंग के मात्र दर्शनों से श्रद्घालुओं को अश्वमेध के समान फल मिलता है। तो आप भी घर बैठे कीजिये इस प्राचीन और पवित्र शिवलिंग के दर्शन।
लिंगराज मंदिर (उड़ीसा)
उड़ीसा स्थित लिंगराज मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। लेकिन यहां शिव के साथ साथ भगवान विष्णु कि भी पूजा कि जाती है, जिस कारण यह हरिहर के नाम से भी जाना जाता है। मंदिरों के शहर उड़ीसा में स्थित ये मंदिर बड़ा होने के साथ-साथ अपने साथ इतिहास को भी समेटे हुए है।
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मृदेश्वर महादेव (गुजरात)
मृदेश्वर महादेव मंदिर गुजरात के गोधरा में स्थित है। इस शिवलिंग का आकार एक वर्ष में एक चावल के दाने के बराबर बढ़ता है। मृदेश्वर महादेव के बढ़ते शिवलिंग के आकार को प्रलय का संकेत माना जाता है। इस शिव लिंग के विषय में मान्यता है कि जिस दिन लिंग का आकार साढ़े आठ फुट का हो जाएगा उस दिन यह मंदिर की छत को छू लेगा। जिस दिन ऐसा होगा उसी दिन महाप्रलय आ जाएगा। मृदेश्वर शिवलिंग की विशेषता है कि इसमें से स्वतः ही जल की धारा निकलती रहती है जो शिवलिंग का अभिषेक कर रही है। इस जल धारा में गर्मी एवं सूखे का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, धारा अविरल बहती रहती है।
त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग (नासिक)
महाराष्ट्र के नासिक शहर में स्थित त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग को बहुत पवित्र माना जाता है। त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में शामिल है। मंदिर के अंदर एक छोटे से गढ्ढे में तीन छोटे-छोटे लिंग है, ब्रह्मा, विष्णु और शिव- इन तीनों देवों के प्रतीक माने जाते हैं। माना जाता है यह स्थान प्राचीन काल में गौतम श्रृषि की तपोभूमि था। अपने पर लगे गौहत्या के पाप को मिटाने के लिए उन्होंने यहां शिव जी का तप कर गोदावरी का उदगम करवाया था। तब से भगवान शिव यहां त्रयम्बकेश्वर के रूप में विराजमान हैं।
(डिस्क्लेमर - ये आर्टिकल जन सामान्य सूचनाओं और लोकोक्तियों पर आधारित है। इंडिया टीवी इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता।)