Magh Month 2024: आज से शुरू हुआ माघ का महीना, इस माह की ये तिथियां है अत्यंत महत्वपूर्ण, डेट कर लीजिए नोट
Magh Month 2024: आज से माघ मास का आरंभ हो चुका है। तीज-त्यौहार और पूजा-पाठ के लिहाज से माघ का महीना अत्यंत महत्वपूर्णा माना जाता है। इस माह में कई ऐसे प्रमुख दिन है जिनका खास महत्व है।
Magh Month 2024: आज से बहुत ही पवित्र महीना माघ की शुरुआत हो चुकी है, जो कि 24 फरवरी 2024 तक रहेगा। माघ महीने में स्नान के साथ ही दान का भी बहुत महत्व है। माघ महीने में, विशेषकर कि माघ पूर्णिमा के दिन जो व्यक्ति किसी सुपात्र ब्राह्मण को ब्रह्मवैवर्त पुराण का दान करता है, उसे ब्रह्म लोक की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही जो व्यक्ति माघ में ब्रह्मवैवर्त पुराण का पाठ करता है या माघ का माहात्म्य पढ़ता है, उस व्यक्ति को जीवन में लाभ ही लाभ मिलता है। माघ में तिल दान का भी महत्व है। इस महीने में जो व्यक्ति तपस्वियों को या ब्राह्मणों को तिल दान करता है, वह बड़े आनन्द से जीवन बीताता है।
माघ महीने में कल्पवास का भी विशेष महत्त्व है। दरअसल माघ के दौरान संगम के तट पर निवास को कल्पवास कहते हैं। बड़े-बड़े साधु-संत वहां पर रहकर वेद, यज्ञ आदि कार्य करते हैं। आपको बता दूं कि अपने-अपने मत से कुछ लोग ये कल्पवास पौष शुक्ल एकादशी से आरम्भ करके माघ शुक्ल एकादशी तक जारी रखते हैं, जबकि कुछ लोग पौष पूर्णिमा से माघ पूर्णिमा तक कल्पवास करते हैं।
माघ महीने की महत्वपूर्ण तिथियां
माघ शुक्ल पक्ष की सप्तमी
पुराणों में माघ महीने की कुछ तिथियों पर कुछ विशेष कार्यों की भी बात कही गई है। उनके अनुसार माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी को एक भक्त, षष्ठी को नक्त और सप्तमी को उपवास करना चाहिए। साथ ही सप्तमी को कनेर के पुष्पों और लाल चंदन से सूर्य भगवान की पूजा करनी चाहिए। वैसे तो सप्तमी से शुरू करके पूरे एक वर्ष तक सूर्यदेव की पूजा की बात कही गई है। इसमें पूरे साल को चार-चार महीनों के तीन भागों में बांटकर, हर भाग में विभिन्न नैवेद्य, पुष्प और धूप से भगवान की पूजा करनी चाहिए और अंत में एक रथ के दान की बात भी कही गई है। बता दें कि माघ शुक्ल पक्ष की सप्तमी पर आक की सात
पत्तियां, चावल, तिल, दूर्वा, अक्षत और चन्दन लेकर जल में डालकर सूर्यदेव को अर्घ्य देना चाहिए और प्रणाम करना चाहिए। साथ ही सप्तमी तिथि को भी देवी मानकर प्रणाम करना चाहिए। माघ शुक्ल
पक्ष की सप्तमी 16 फरवरी को है।
सकट चतुर्थी
माघ कृष्ण पक्ष की चतुर्थी 29 जनवरी को है। इसे सकट चौथ या तिल चौथ के नाम से जाना जाता है। इसी दिन भगवान गणेश की उत्पत्ति भी हुई थी, इसलिए इस दिन विशेष रूप से भगवान गणेश की उपासना की जाती है और उनके निमित्त व्रत किया जाता है। इस व्रत में पूरा दिन निराहार रहकर शाम के समय चंद्रोदय होने पर चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाता है और तिलकूट खाया जाता है। 29 जनवरी को चंद्रोदय रात 8 बजकर 48 मिनट पर होगा।
माघ शुक्ल पक्ष की चतुर्थी
जितना महत्व माघ कृष्ण पक्ष की चतुर्थी का है, शास्त्रों में उतना ही महत्व माघ शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का भी है। माघ शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को उमा चतुर्थी कहते हैं। इस दिन विशेष रूप से महिलाओं के द्वारा कुन्द और अन्य पुष्पों से, गुड़ से और नमक से गौरी पूजा की जाती है। इस दिन ब्राह्मणों और गायों का भी विशेष सम्मान किया जाता है। माघ शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 12 फरवरी की शाम 5 बजकर 45 मिनट से 13 फरवरी की दोपहर 2 बजकर 42 मिनट तक रहेगी। माघ शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का व्रत 12 फरवरी को किया जाएगा।
माघ कृष्ण पक्ष की द्वादशी
इसके अलावा माघ कृष्ण पक्ष की द्वादशी को उपवास कर तिल से हरि पूजा करने, तिल से होम करने, तिल का दान करने और उसे खाने का विधान है। दरअसल इसके पीछे माना जाता है कि माघ कृष्ण पक्ष की द्वादशी को यम ने तिल उत्पन्न किये थे, जिसे दशरथ ने पृथ्वी पर लाकर बोया था और भगवान विष्णु को देवों ने तिल का स्वामी बनाया था। इसीलिए माघ कृष्ण पक्ष की द्वादशी को ये सब कार्य किये जाते हैं। इससे व्यक्ति के ऊपर श्री हरि और यम, दोनों की कृपा बनी रहती है और वह बिना किसी रुकावट के जीवन में आगे बढ़ता रहता है। माघ कृष्ण पक्ष की उदया तिथि द्वादशी 7 फरवरी को पड़ रही है।
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माघ अमावस्या
अगर माघ अमावस्या की बात करें तो 9 फरवरी को अमावस्या पड़ रही है। माघ अमावस्या को मौनी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विद्या की देवी सरस्वती की पूजा का विधान है। इस दिन घरों में पीले चावल बनाये जाते हैं। बसंत पंचमी के दिन ही रतिकाम महोत्सव भी मनाया जाता है। इस दिन भगवान कामदेव और उनकी पत्नी भगवति रति की पूजा करने का विधान है।
वसंत पंचमी
इस बार 14 फरवरी को वसंत पंचमी पड़ रही है। इसके अलावा 13 फरवरी को सूर्य की कुंभ संक्रांति है। इस दिन दोपहर बाद 3 बजकर 43 मिनट पर सूर्यदेव कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। इस संक्रांति का
पुण्यकाल 13 फरवरी सुबह 9 बजकर 16 मिनट से दोपहर बाद 3 बजकर 43 मिनट तक रहेगा।
(आचार्य इंदु प्रकाश देश के जाने-माने ज्योतिषी हैं, जिन्हें वास्तु, सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का लंबा अनुभव है। इंडिया टीवी पर आप इन्हें हर सुबह 7.30 बजे भविष्यवाणी में देखते हैं।)
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