Karwa Chauth 2023: करवा चौथ की पूजा के बाद जरूर पढ़ें वीरावती और 7 भाइयों वाली कथा, तभी मिलेगा व्रत का शुभ फल
करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत खास होता है। सुहाग की लंबी आयु के लिए विवाहित महिलाएं इस दिन व्रत रखती हैं। आज हम आपको को करवा चौथ की व्रत कथा बताने जा रहे हैं। जिसका पाठ करने से सुहागिन महिलाओं को सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद मिलता है।
Karwa Chauth 2023: करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए सबसे बड़ा व्रत है। यह त्यौहार सुहागिन महिलाओं के लिए इसलिए भी विशेष है क्योंकि करवा चौथ का व्रत रखने से पति की आयु लंबी होती है और उनके दांपत्य जीवन में मधुरता बनी रहती है। विवाहित महिलाएं विशेष रूप से करवा चौथ का व्रत अपने पति के लिए रखती हैं। इस बार करवा चौथ का व्रत 1 नवंबर 2023 के दिन रखा जाएगा। करवा चौथ के व्रत का महत्व इतना है कि अगर इस दिन नियम पूर्वक व्रत का पालन जिसने भी किया उसे अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद मिलता है। आइये जानते हैं करवा चौथ से जुड़ी एक महत्वपूर्ण कथा के बारे में, जिसमें वीरावती नाम की एक स्त्री ने करवा चौथ का व्रत रख कर अपने पति के प्राणों की रक्षा की।
श्री कृष्ण के कहने पर द्रौपदी ने रखा करवा चौथ व्रत
करवा चौथ व्रत रखने की परंपरा अति प्राचीन है। धार्मिक मान्यता के अनुसार जब पांडवों के जीवन पर संकट के पाहड़ टूट पड़े थे। तब भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी को करवा चौथ व्रत रखने की सलाह दी थी। भगवान कृष्ण की बात का पालन करते हुए द्रौपदी ने नियम पूर्वक करवा चौथ का व्रत रखा था। द्रौपदी द्वारा करवा चौथ व्रत रखने से पांडवों के जीवन में मंडरा रहा संकट एक छण में दूर हो गया था।
करवा चौथ की व्रत कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक ब्राह्मण के सात पुत्र और उसकी इकलौती पुत्री वीरावती थी। सात भाईयों के बीज अकेली बहन होने के कारण वीरावती अपने घर की बड़ी लाडली थी। वरावती के सभी भाई उससे बहुत प्रेम करते थे और अपनी बहन की आंखों में एक आंसू तक नहीं देख सकते थे। कुछ समय बाद वीरावती का विवाह एक ब्राह्मण कुल के युवक से हो गया। विवाह के बाद जब वीरावती अपने मायके आई तो उसने अपनी सातों भाभियों के साथ मिलकर करवा चौथ का व्रत रखा। वीरावती का शादी के बाद यह पहला करवा चौथ का व्रत था। इस कारण शाम होते-होते उससे भूख और प्यास बरदाश न हुई। वीरावती के भाईयों ने जब अपनी बहन को इस हालत में देखा तो उनसे रहा नहीं गया। वीरावती के भाईयों ने उससे खाना खाने के लिए कहा। लेकिन वीरावती ने खाना और जल बिल्कुल नहीं ग्रहण किया। उसने अपने भाईयों से कहां कि वह करवा चौथ का व्रत है और चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही अन्न और जल ग्रहण करेगी।
वीरावती ने बचाए अपने पति के प्राण
वीरावती के भाईयों को अपने बहन की ऐसी हालत देखी न जा रही थी। करवा चौथ के दिन चंद्रमा के जल्दी नहीं दिखाई देने पर उसके भाईयों ने एक नया रास्ता ढूंढ निकाला। वारीवती का एक भाई पीपल के पेड़ पर चढ़ जाता है और दीपक जलाकर चलनी की ओट में रख देता है। दूर से देखने पर ऐसा लगा की चांद निकल आया है। फिर एक भाई ने आकर वीरावती से कहा देखो-देखो चंद्रमा निकल आया है। तुम उसे जल्दी से अर्घ्य देकर भोजन कर लो। वीरावती ने खुशी-खुशी चांद को देखा और उसे अर्घ्य देकर खाना खाने बैठ गई। खाने का पहला टुकड़ा जैसे ही उसने खाया तो उसे छींक आ गई। दूसरे टुकड़े में बाल निकल आया और तीसरा टुकड़ा खाने का मुंह में रखने चली तो उसके पति की मृत्यु की सूचना आ गई। इस घटना के बाद वीरावती की भाभी ने सारी बात वीरावती को बताई की ये अशुभ घटना क्यों हुई। करवा चौथ का व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण देवता लोग उससे नाराज हो गए हैं।
वीरावती ने व्रत रख बचाए अपने पति के प्राण
एक बार इंद्र देव की पत्नी इंद्राणी करवा चौथ के दिन धरती पर आईं। वीरावती उनके पास पहुंची और अपने पति की रक्षा के लिए प्रार्थना की। देवी इंद्राणी वीरावती का दुःख समझ गईं और उसे पूरी श्रद्धा और विधि-विधान के साथ करवा चौथ का व्रत रखने के लिए कहा। इंद्राणी की बात सुनकर वीरावती ने उनकी बाताई बात का श्रद्धापूर्वक पालन किया और वैसा ही जैसा इंद्राणी ने वीरावती से कहा। वीरावती की पूजा और भक्ति देख कर भगवान प्रसन्न हो गए और उन्होंनें वीरावती को अखंड सौभाग्यवती भव: का आशीर्वाद देते हुए उसके पति को पुनः जीवित कर दिया।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। । इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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