Kamada Ekadashi 2024: कामदा एकादशी क्यों मनाई जाती है? जानें कथा और इस दिन व्रत रखने का महत्व
Kamada Ekadashi 2024: कामदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से कैसे परिणाम मिलते हैं, और इस व्रत से जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में आज हम आपको जानकारी देंगे।
कामदा एकादशी को फलदा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा भक्तों के द्वारा की जाती है और साथ ही व्रत भी रखा जाता है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन व्रत रखने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। हिंदू पंचाग के अनुसार, कामदा एकादशी का व्रत साल 2024 में 19 अप्रैल के दिन रखा जाएगा। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि कामदा एकादशी का महत्व क्या और और इस व्रत से जुड़ी पौराणिक कथा क्या है।
कामदा एकादशी 2024 तिथि और मुहूर्त
चैत्र महीने की एकादशी तिथि की शुरुआत 18 अप्रैल को शाम साढ़ें पांच बजे से हो जाएगी और 19 अप्रैल रात्रि 8 बजकर 5 मिनट तक रहेगी। उदयातिथि की मान्यता के अनुसार कामदा एकादशी का व्रत और श्रीहरि की पूजा 19 अप्रैल के दिन ही की जाएगी। आपको बता दें कि साल 2024 में कामदा एकादशी के दिन रवि योग भी रहेगा जिसके चलते इस दिन पूजा करने से आपको मनोवांछित फल प्राप्त हो सकते हैं।
कामदा एकादशी से जुड़ी पौराणिक कथा
पौराणिक शास्त्रों के अनुसार कृष्ण भगवान ने युधिष्ठिर को कामदा एकादशी के माहतम्य को वर्णित करती एक कथा सुनाई थी। इस कथा के अनुसार, भोंगीपुर नामक एक नगर का राजा था पुंडरीक। राजा हमेशा अपनी विलासिता में डूबा रहता था। राजा के महल में ललित नाम का एक संगीतज्ञ था। ललित की कला और समर्पण से राजा बहुत खुश रहता था। ललित भोंगीपुर में अपनी पत्नी ललिता के साथ रहता था और पति-पत्नी में अत्यधिक प्रेम था। एक बार ललित राजा को संगीत सुना रहा था, तभी अचानक से ललित की पत्नी ललिता राजमहल में आयी और ललित की नजर अपनी पत्नी पर पड़ी। अपनी पत्नी को देखकर ललित का सुर डगमगा गया। पुंडरीक ने इसे अपना अपमान समझा और वो क्रोध में आ गया। क्रोध में आए राजा ने ललित को राक्षस होने का श्राप दे दिया।
राजा के श्राप की वजह से ललित मांस खाने लगा और उसकी दुर्दशा हो गयी। उसे देखकर ललिता बहुत दुखी हुई और ललित को ठीक करने के कई प्रयास कर डाले। अंत में ललिता विंध्याचल पर्वत पर ऋषि श्रृंगी के आश्रम पहुंची और उन्हें अपनी व्यथा बताई। ललिता की बातों को सुनकर ऋषि ने उसे कामदा एकादशी का व्रत रखने की सलाह दी। ऋषि की सलाह के अनुसार ललिता ने शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा की और व्रत रखा।
इसके बाद द्वादशी तिथि के दिन ललिता ने व्रत का पारण किया। व्रत के प्रताप से ललिता के पति को फिर से मनुष्य योनि प्राप्त हो गयी। इसी व्रत के प्रभाव से अंत समय में ललित और ललिता को मोक्ष की भी प्राप्ति हुई। यही वजह है कि कामदा एकादशी के व्रत को सभी इच्छाओं को पूरा करने वाला माना जाता है। इसीलिए भक्तों के द्वारा कामदा एकादशी के दिन व्रत रखा जाता है।
कामदा एकादशी व्रत का महत्व
कामदा एकादशी के व्रत को सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाला माना जाता है। अगर कोई व्यक्ति विधि-विधान से इस दिन पूजन करता है तो, उसके पारिवारिक जीवन में समस्याएं नहीं आती और जीवन सुचारु रूप से चलता रहता है। इस दिन व्रत रखने से सभी पाप कर्म मिट जाते हैं।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इंडिया टीवी इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)
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