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Hindi News धर्म त्योहार Kajari Teej 2022: कब है कजरी तीज, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

Kajari Teej 2022: कब है कजरी तीज, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

इस साल कजरी तीज 14 अगस्त 2022, रविवार को मनाई जाएगी। यह त्योहार पति की लंबी उम्र की कामना के लिए मनाया जाता है।

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Kajari Teej 2022: पति की लंबी उम्र के लिए हर साल कजरी तीज का व्रत रखा जाता है। इस दिन सुहागन महिलाएं अपने पति के लंबी आयु के लिए और और कुंवारी कन्याएं अच्छा वर पाने के लिए निर्जला व्रत रखती है। हर साल भाद्रपद या भादो मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया को कजरी तीज मनाते हैं। कजरी तीज को बूढ़ी तीज, कजली तीज, सातूड़ी तीज भी कहा जाता है।  इस दिन भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

सावन और भादो मास के दौरान तीज मनाई जाती हैं। जो कि हरियाली तीज, कजरी तीज और हरतालिका तीज हैं। हरियाली तीज का त्योहार 31 जुलाई 2022 को मनाया गया था। हरियाली तीज से 15 दिनों के बाद कजरी तीज मनाई जाती है। यह आमतौर पर कृष्ण जन्माष्टमी के पांच दिन पहले आती है। इस साल कजरी तीज 14 अगस्त 2022, रविवार को मनाई जाएगी।

शुभ मुहूर्त

भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि 13 अगस्त को रात 12 बजकर 53 मिनट से प्रारंभ होगी, जो कि अगले दिन 14 अगस्त को रात 10 बजकर 35 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, कजरी तीज व्रत 14 अगस्त को रखा जाएगा।

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पूजा विधि

  1. स्नान के बाद भगवान शिव और माता गौरी की मिट्टी की मूर्ति बनाए, या फिर बाजार से लाई मूर्ति को पूजा में उपयोग किया जा सकता है। 
  2. व्रती महिलाएं माता गौरी और भगवान शिव की मूर्ति को एक चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाकर स्थापित करें।
  3. शिव-गौरी का विधि विधान से पूजन करें।
  4. माता गौरी को सुहाग के 16 सामग्री अर्पित करें। 
  5. भगवान शिव को बेल पत्र, गाय का दूध, गंगा जल, धतूरा, भांग आदि चढ़ाए।
  6. धूप और दीप आदि जलाकर आरती करें।
  7. शिव-गौरी की कथा सुनें।
  8.  इस दिन गाय की पूजा की जाती है। गाय को रोटी व गुड़ चना खिलाकर महिलाएं अपना व्रत खोलती हैं।

कजरी तीज पर सुहागिन स्त्रियां करें खास काम

  1. विवाहित महिलाएं इस दिन दुल्हन की तरह तैयार होकर देवी पार्वती और शंकर जी की पूजा करती हैं तो उन्हें अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है। इस दिन सोलह श्रृंगार कर पूजा करना चाहिए।
  2. तीज पर महिलाएं पूजा पाठ के बाद लोकगीत जरूर गाएं। इससे वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा आती है। 
  3. तीज पर झूला झूलने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। 

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(डिस्क्लेमर: इस लेख में व्यक्त विचार लेखक के हैं। इंडिया टीवी इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता। )