Jagannath Chandan Yatra 2024: क्या है भगवान जगन्नाथ की चंदन यात्रा? ये कब और कितने दिनों तक के लिए होती है, जानें पूरी डिटेल्स
Jagannath Puri Chandan Yatra 2024: पुरी की रथ यात्रा देखने के लिए देश-विदेश से भक्त जुटते हैं। लेकिन इससे पहले जगन्नाथ मंदिर में चंदन रथ यात्रा निकाली जाती है। इस यात्रा का विशेष महत्व बताया गया है।
Jagannath Chandan Yatra 2024: ओडिशा के जगन्नाथ मंदिर में मनाया जाने वाला चंदन यात्रा का विशेष महत्व है। यह पावन यात्रा करीब 42 दिनों तक चलता है। चंदन यात्रा उत्सव दो हिस्से बहार और भीतर चंदन के रूप में मनाया जाता है। इस उत्सव को देखने के लिए मंदिर में खास इंतजाम और तैयारियां की जाती हैं। जगन्नाथ जी की चंदन यात्रा को देखने के लिए दूर-दराज से भक्तगण जुटते हैं। तो आइए जानते हैं चंदन यात्रा के बारे में विस्तार से।
जगन्नाथ चंदन यात्रा के बारे में
भगवान जगन्नाथ की चंदन यात्रा उत्सव दो हिस्सों में मनाई जाती है। पहला बहार दूसरा भीतर। बहार चंदन उत्सव अक्षय तृतीया से शुरू होकर 21 दिनों तक चलता है। इस दौरान भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के लिए रथों का निर्माण किया जाता है। इसके साथ ही मंदिर के मुख्य देवताओं की प्रतिनिधि मूर्तियों की पूजा-अर्चना की जाती है। फिर इन मूर्तियों को नरेंद्र तीर्थ तालाब तक लाया जाता है। इसके बाद फिर अगले 21 दिनों तक भीतर चंदन यात्रा उत्सव का आयोजन किया जाता है। भीतर चंदन यात्रा में कई अनुष्ठान किए जाते हैं। इस दौरान अमावस्या, पूर्णिमा की रात, षष्ठी और शुक्ल पक्ष की एकादशी को चंचल सवारी होती है।
चंदन यात्रा क्यों की जाती है?
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, वैशाख और ज्येष्ठ में भीषण गर्मी पड़ती है। इस दौरान भगवान जगन्नाथ को गर्मी से राहत और बचाने के लिए चंदन का लेप लगाया जाता है। चंदन यात्रा के दौरान भक्त भगवान को गर्मी से राहत दिलाने के लिए कई तरह की व्यवस्था करते हैं।
रथ यात्रा 2024
ओडिशा के पुरी में जगन्नाथ यात्रा 7 जुलाई 2024 को निकाली जाएगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रथ यात्रा निकालकर भगवान जगन्नाथ को प्रसिद्ध गुंडिचा माता के मंदिर पहुंचाया जाता हैं, जहां भगवान 7 दिनों तक विश्राम करते हैं। इसके बाद भगवान जगन्नाथ की वापसी की यात्रा शुरू होती है। कहते हैं कि गुंडिचा मंदिर जगन्नाथ जी का मौसी का घर है। जगन्नाथ रथयात्रा दस दिवसीय महोत्सव होता है। इस यात्रा में भाग लेने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु देश के अलग-अलग कोनों से यहां आते हैं और भगवान के रथ को खींचकर सौभाग्य पाते हैं। कहते हैं जो भी व्यक्ति रथ यात्रा में शामिल होता है, उसे हर प्रकार की सुख-समृद्धि मिलती है।
बता दें कि जगन्नाथ मंदिर की रसोई दुनिया की सबसे बड़ी रसोई मानी जाती है। जगन्नाथ मंदिर ही एक अकेला ऐसा मंदिर है जहां का प्रसाद 'महाप्रसाद' कहलाता है। महाप्रसाद को मिट्टी के 7 बर्तनों में रखकर पकाया जाता है। महाप्रसाद को पकाने में सिर्फ लकड़ी और मिट्टी के बर्तन का ही प्रयोग किया जाता है। जगन्नाथ मंदिर से जुड़ा एक रहस्य यह भी है कि कितनी भी धूप में इस मंदिर की परछाई कभी नहीं बनती है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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