Lohri 2024: क्या आप जानते हैं लोहड़ी मनाने की शरुआत कहां से हुई? जानिए इस त्योहार का पूरा इतिहास
आज लोहड़ी का पर्व देश भर में खुशियों के साथ मनाया जाएगा। हर त्योहार को मनाने के पीछे कुछ न कुछ खास वजह जरूर होती है। आइए आचार्य इंदु प्रकाश से जानते हैं लोहड़ी की शुरुआत कैसे हुई और क्या है इसका इतिहास।
Lohri 2024: आज लोहड़ी का त्योहार मनाया जायेगा। लोहड़ी का ये त्योहार मकर संक्रांति से ठीक एक दिन पहले मनाया जाता है। उत्तर भारत में, खासकर कि पंजाब में इस त्योहार का महत्व है। जिन लोगों की नई-नई शादी हुई हो या जिनके घर में बच्चा हुआ हो, उन लोगों के लिये ये त्योहार विशेष महत्व रखता है। आज के दिन शाम के समय लकड़ियों और गोबर के उपलों को इकट्ठा करके जलाया जाता है और परिवार के साथ उसके चारों ओर घेरा बनाकर परिक्रमा की जाती है।
परिक्रमा के समय जलती हुई आग में मूंगफली, रेवड़ी, तिल, मक्की के दाने आदि चीज़ें डालने की परंपरा है। कहते हैं ऐसा करने से दूसरों की बुरी नजर से छुटकारा मिलता है, घर में सुखद माहौल बनता है और व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। आइए जानते हैं आचार्य इंदु प्रकाश से लोहड़ी के त्योहार को मनाने की शुरुआत कैसे हुई।
यहां से हुई लोहड़ी की शुरुआत
दरअसल लोहड़ी के इस त्योहार को मनाने के पीछे इतिहास के कुछ पन्ने भी जुड़े हैं। इस दिन को मुगलशासकों के विरुद्ध न्याय की लड़ाई लड़ने वाले लोकप्रिय नायक, परमवीर, हिन्दू गुर्जर दुल्ला भट्टी की याद में मनाया जाता है। दुल्ला भाटी हमेशा सबकी मदद के लिये तैयार रहते थे। ऐसे ही एक बार उन्होंने एक ब्राह्मण की कन्या को मुगलशासक के चंगुल से छुडाया था और उसकी शादी एक सुयोग्य हिन्दू वर से करवायी थी। उस कन्या का नाम सुंदर मुंदरिए था। अब दुल्ला भाटी कोई पंडित तो था नहीं, इसलिए उसने आस-पास पड़ी लकड़ियों और गोबर के उपलों को इकट्ठा करके उसमें आग जलायी और उसके
पास जो कुछ खाने की चीज़ें जैसे मूंगफली, रेवड़ी आदि थीं, वो सब उसने आग में डाल दी और उन दोनों की शादी करवा दी ।
शादी के समय गाए थे ये गीत
शादी के समय दुल्ला भाटी ने कुछ इस तरह का गीत भी गाया था
सुन्दर मुंदरिए
तेरा कौन विचारा
दुल्ला भट्टीवाला
दुल्ले दी धी व्याही
सेर शक्कर पायी
कुड़ी दा लाल पताका
इस प्रकार उन दोनों की शादी तो हो गई, लेकिन बाद में मुगल शासकों ने दुल्ला भट्टी पर हमला कर दिया और वह मारा गया। तब से दुल्ला भाटी की याद में लोहड़ी का ये त्योहार मनाया जाता है और शाम के समय लकड़ी और उपले जलाकर उसकी परिक्रमा की जाती है। आज के दिन एक-दूसरे को मूंगफली, रेवड़ियां आदि बांटने और खाने का भी रिवाज़ है।
(आचार्य इंदु प्रकाश देश के जाने-माने ज्योतिषी हैं, जिन्हें वास्तु, सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का लंबा अनुभव है। इंडिया टीवी पर आप इन्हें हर सुबह 7.30 बजे भविष्यवाणी में देखते हैं।)
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