Guruwar Aarti: गुरुवार के दिन करें भगवान विष्णु की ये आरती, मिलेगा मनचाहा फल
Guruwar Aarti: गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को अर्पित किया गया है। इस दिन भक्त विष्णु भगवान की सच्चे मन से पूजा करते हैं। साथ ही सुबह-शाम उनकी आरती भी करते हैं।
Highlights
- गुरुवार के दिन करें भगवान विष्णु की आरती
- भगवान विष्णु प्रसन्न होकर अपने भक्तों पर बरसाते हैं कृपा
Guruwar Aarti: हिंदू धर्म के अनुसार हर दिन की न किसी भगवान को अर्पित किया गया है। हर दिन किसी न किसी भगवान की पूजा-आरती करने से लाभ मिलता है और अशांत मन भी शांत रहता है। जो शख्स भगवान से अपना रिश्ता जोड़े रखता है उसे जीवन में आने वाली परेशानियों से लड़ने की हिम्मत और साहस मिलता है। यदि आप सच्चे मन से भगवान की पूजा आराधना करते हैं तो आपको मनचाहा फल भी मिलता है।
ऐसे में गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को अर्पित किया गया है। इस दिन भक्त विष्णु भगवान की सच्चे मन से पूजा करते हैं। साथ ही सुबह-शाम उनकी आरती भी करते हैं। ऐसा करने घर-परिवार में शांति बनी रहती है और घर में खुशियों का वास होता है। माना जाता है कि भगवान विष्णु प्रसन्न होकर अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं। जिससे भक्तों को धन-धान्य की कमी नहीं रहती है।
आरती करने के नियम
- भगवान विष्णु की आरती करने से पहले इस बात का ध्यान रखें कि आरती के लिए 5 या 7 मुख वाले दीपक का इस्तेमाल करें।
- भगवान विष्णु को शंख बेहद प्रिय है। इसलिए आरती के दौरान शंख बजाना शुभ माना जाता है।
- आरती के दीपक को थाली या आसन पर ही रखना चाहिए।
- आरती के समय दीपक का मुख हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा में रखना चाहिए।
- दीपक में सिर्फ घी या तिल के तेल उपयोग करें। ऐसा करने से नाकारात्मक शक्तियां घर से दूर रहती हैं।
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भगवान विष्णु जी की आरती
ओम जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥ ओम जय जगदीश हरे…
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥ ओम जय जगदीश हरे…
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ओम जय जगदीश हरे…
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तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ओम जय जगदीश हरे…
तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ओम जय जगदीश हरे…
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥ ओम जय जगदीश हरे
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दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ओम जय जगदीश हरे…
विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ओम जय जगदीश हरे…
श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥ ओम जय जगदीश हरे…
Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। । इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।