Friendship Day 2023: भगवान कृष्ण-सुदामा समेत इनकी दोस्ती की आज भी दी जाती है मिसाल, जानें
Friendship Day 2023: फ्रेंडशिप डे के मौके पर जानिए उन पौराणिक किरदारों के बारे में जिनकी दोस्ती का आज भी दिया जाता है उदाहरण।
Friendship Day 2023: कहते हैं कि सभी रिश्ते हमें जन्म के साथ मिल जाता है लेकिन दोस्ती का रिश्ता हम खुद बनाते हैं। इसलिए दोस्ता का रिश्ता सबसे खास होता है। दुख-सुख और हर जरूरी समय में जो आपका साथ दें वहीं सच्चा दोस्त कहलाता है। इसी अनोखे और प्यारे रिश्ते को समर्पित है फ्रेंडशिप डे या मित्रता दिवस। हर साल अगस्त के पहले रविवार को मित्रता दिवस मनाया जाता है। दोस्ती की परिभाषा भगवान कृष्ण समेत प्रभु राम ने बहुत ही अच्छे तरीके से बयां किया है। वहीं दोस्ती की बात आई है तो कर्ण का नाम शामिल करना भी बेहद जरूरी है। तो आइए जानते हैं उन किरदारों के बारे में जिनकी दोस्ती की मिसाल अब भी दी जाती है।
भगवान कृष्ण और सुदामा
दोस्ती का नाम आते ही सबसे मुंह पर पहले कृष्ण और सुदामा का नाम ही आता है। सुदामा कृष्ण के बचपन मित्र थे लेकिन फिर दोनों अलग हो गए। जहां भगवान कृष्ण अपना राजपाठ संभालने में व्यस्त थे, वहीं सुदामा अपनी गरीबी से जूझ रहे थे। खराब आर्थिक स्थिति के बाद सुदामा कान्हा से मदद मांगने नहीं गए। लेकिन एक दिन अपनी पत्नी की जिद्द की वजह से वे कृष्ण जी मिलने चले गए। सुदामा को लगा कि कृष्ण उन्हें पहचानेंगे नहीं लेकिन जब वह भगवान कृष्ण से मिले तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। क्योंकि कृष्ण ने दिल खोलकर सुदामा को गले से लगा लिया और खूब सेवा सत्कार किया। कृष्ण से बिना कोई मदद मांगे सुदामा जब घर पहुंचे तो उनके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा, क्योंकि उनका घर महल में बदल गया था। भगवान कृष्ण और सुदामा
की दोस्ती गरीबी-अमीरी से बिल्कुल परे थी।
कर्ण और दुर्योधन
कर्ण महाभारत का वो किरदार थे जो बुराई के साथ होने के बाद भी लोगों के दिलों में राज करते हैं। कर्ण ने कौरवों का साथ केवल अपने दोस्त दुर्योंधन की वजह से दिया था। कर्ण ने हर स्थिति में दुर्योधन का साथ दिया था। दरअसल, दुर्योधन का साथ कर्ण ने उस समय दिया था जब समाज ने उन्हें दुत्कार दिया था। एक तरह से कह सकते हैं कि दुर्योधन ने कर्ण को समाज में मान सम्मान दिलाया था।
राम और सुग्रीव
रामायण में भगवान राम और सुग्रीव की मित्रता को काफी अच्छे से दिखाया गया है। सीता हरण के बाद जब राम अपने भाई लक्ष्मण के जंगल-जंगल भटक रहे थे तब उनकी मुलाकात सुग्रीव से हुई थी। दोनों जीवन भर एक-दूसरे का साथ निभाते रहे। बाली से लड़ाई की बात हो या रावण से युद्ध का हर लड़ाई में दोनों साथ रहे। सुग्रीव मित्र होने के बाद भी राम जी को ईश्वर मानते रहे।
इनकी दोस्ती भी है एक बड़ी मिसाल
कृष्ण-द्रौपदी, गांधारी कुंती, और सीता त्रिजटा की मित्रता भी एक बड़ी मिसाल है। जब भरी सभा में द्रौपदी का चीर हरण हो रहा था तब भगवान कृष्ण ने ही उनकी लाज बचाई थी। कृष्ण ने हर स्थिति में द्रौपदी का साथ दिया था।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। इंडिया टीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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