Diwali 2023: दिवाली के दिन बस इतनी देर के लिए रहेगा शुभ मुहूर्त, जान लीजिए लक्ष्मी पूजा की सही विधि
Diwali 2023 Puja Shubh Muhurat: 12 नवंबर को दिवाली का त्यौहार मनाया जाएगा। तो आइए जानते हैं कि इस दिन लक्ष्मी जी की पूजा किस मुहूर्त में और किस विधि के साथ करें।
Diwali 2023 Puja Muhurat And Vidhi: इस साल दीपों का त्यौहार दीपावली 12 नवंबर को मनाया जाएगा। दिवाली के दिन शाम के समय मां लक्ष्मी और श्री गणेश के साथ ही कुबेर जी की भी पूजा की जाती है। जैसे मां लक्ष्मी को धन की देवी कहा जाता है, उसी प्रकार कुबेर जी को धन का देवता कहा जाता है और जिस घर में ये दोनों निवास करते हैं, वहां पर धन की कभी कमी नहीं होती। तो आइए आचार्य इंदु प्रकाश से जानते हैं कि मां लक्ष्मी,श्री गणेश और कुबेर जी की पूजा की सही विधि और मुहूर्त क्या है।
दिवाली के दिन दोपहर में अभिजित मुहूर्त में ऑफिस में पूजा करें
- काशी में अभिजित मुहूर्त- 12 नवंबर को सुबह 11:20 से दोपहर 12:04 तक रहेगा
- प्रदोष काल में वृष लग्न - 12 नवंबर को शाम 5:33 से 7:19 तक रहेगी
- द्विस्वभाव लग्न आज शाम- 12 नवंबर को 7:19 मिनट से 9:23 तक रहेगी
- अमृत की चौघड़िया- 12 नवंबर को शाम 6:46 से रात 8:25 तक रहेगी (अमृत की चौघड़िया में पूर्व की बजाय उत्तर मुखी होकर पूजा करें)
- महानिशीथकाल- 12 नवंबर को रात 11:16 से रात 12:09 मिनट तक रहेगा
- सिंह लग्न- 12 नवंबर को रात 11:51 से रात 2:05 मिनट तक रहेगी
- दीपावली पूजन के लिए शुभ समय- 12 नवंबर को शाम 5:33 से 7:19 तक है
दिवाली के दिन इस विधि के साथ करें मां लक्ष्मी की पूजा
लक्ष्मी पूजा के लिए उत्तर-पूर्व दिशा के कोने को अच्छे से साफ करके वहां पर लकड़ी का पाटा बिछाएं। कुछ लोग उस जगह की दिवार को सफेद या हल्के पीले रंग से रंगते हैं। इसके लिए खड़िया या सफेद मिट्टी और गेरु का इस्तेमाल किया जाता है। इससे पूजा स्थल की ऊर्जा में बढ़ोतरी होती है। लकड़ी का पाटा बिछाने के बाद उस पर लाल कपड़ा बिछाएं और लक्ष्मी जी, गणेश जी और कुबेर जी की स्थापना करें। ध्यान रहे कि लक्ष्मी जी की मूर्ति को श्री गणेश के दाहिने हाथ की तरफ स्थापित करना चाहिए।
वहीं दिवाली की पूजा के लिए कुछ लोग सोने की मूर्ति रखते हैं, कुछ लोग चांदी की, तो कुछ लोग मिट्टी की मूर्ति या फिर तस्वीर से भी पूजा करते हैं। मूर्ति या तस्वीर के अलावा इस दिन कागज पर बने लक्ष्मी-गणेश जी की पूजा करने की भी परंपरा है। इस प्रकार मूर्ति स्थापना के बाद पूजा स्थल को फूलों से सजाएं। साथ ही पूजा के लिए कलश या लोटा उत्तर दिशा की तरफ रखें और दीपक को आग्नेय कोण, यानि दक्षिण-पूर्व की तरफ रखें। लक्ष्मी पूजा में फल-फूल और मिठाई के साथ ही पान, सुपारी, लौंग इलायची और कमलगट्टे का भी बहुत महत्व है। इसके अलावा धनतेरस के दिन आपने जो भी सामान खरीदा हो, उसे भी लक्ष्मी पूजा के समय पूजा स्थल पर जरूर रखें और उसकी पूजा करें।
(आचार्य इंदु प्रकाश देश के जाने-माने ज्योतिषी हैं, जिन्हें वास्तु, सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का लंबा अनुभव है। इंडिया टीवी पर आप इन्हें हर सुबह 7.30 बजे भविष्यवाणी में देखते हैं।)
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