Devshayani Ekadashi 2023: आज से योग निद्रा में जाएंगे नारायण, जानिए देवशयनी एकादशी व्रत पूजा विधि और महत्व
Devshayani Ekadashi 2023: आज देवशयनी एकादशी का व्रत रखा जा रहा है। इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने से जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं।
Devshayani Ekadashi 2023: आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को हरिशयनी एकादशी व्रत करने का विधान है। इसको 'देवशयनी', 'योगनिद्रा' या 'पद्मनाभा' एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। आज भगवान विष्णु की विशेष रूप से पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, आज से भगवान श्री विष्णु विश्राम के लिए क्षीर सागर में चले जाते है और पूरे चार महीनों तक वहीं पर रहेंगे । भगवान श्री हरि के शयनकाल के इन चार महीनों को चातुर्मास के नाम से जाना जाता है। इन चार महीनों में श्रावण, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक मास शामिल हैं। चातुर्मास के आरंभ होने के साथ ही अगले चार महीनों तक शादी-ब्याह आदि सभी शुभ कार्य करना वर्जित हो जाता है।
देवशयनी एकादशी पूजा विधि
देवशयनी के दिन दिन लकड़ी की चौकी पर पीले रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर भगवान विष्णु की प्रतिमा को आसीन किया जाता है और उनके दाएं हाथ की तरफ जल से भरा लोटा रखा जाता है। साथ ही भगवान की प्रतिमा के पास एक शंख और उनके सामने घी का दीपक रखा जाता है। अब सबसे पहले लोटे में भरे जल से उस स्थान को पवित्र कर लें। फिर घी का दीपक जलाएं। उसके बाद रोली, पान, सुपारी आदि से भगवान का पूजन करें। फिर भगवान को पुष्प अर्पित करें और साथ ही फल व मीठाई आदि से भगवान को भोग लगाएं। इस प्रकार पूजा के बाद भगवान की आरती करें और उनसे अपने जीवन की खुशहाली के लिए प्रार्थना करें। आज ऐसा करने से आपके जीवन में सुख समृद्धि बनी रहती है।
चातुर्मास में ये खाना-पीना भी है वर्जित
शादी-ब्याह के अलावा इन चार महीनों के दौरान कुछ चीजों का खाना-पीना भी निषेध हो जाता है। बता दें कि इस दौरान श्रावण मास में शाक का त्याग, भाद्रपद मास में दही और मट्ठे का त्याग, आश्विन मास में दूध का त्याग और कार्तिक मास में द्विदल, यानी दाल का त्याग किया जाता है। इसके आलावा पुराणों में बताया गया है कि- इस दौरान गुड़ के त्याग से व्यक्ति को मधुर स्वर प्राप्त होता है, तेल और घी के त्याग से सौन्दर्य, यानी सुंदरता मिलती है, शाक यानी पत्तेदार सब्जियों के त्याग से विवेक, बुद्धि एवं अच्छी संतान की प्राप्ति होती है और दही व दूध के त्याग से व्यक्ति को पुण्य प्राप्त होता है। साथ ही जीवन में तरक्की भी होती है। हालांकि इस दौरान तीर्थ यात्रा करना, स्नान-दान करना और भगवान का ध्यान करना शुभ माना जाता है|
देवशयनी एकादशी 2023 शुभ मुहूर्त
- देवशयनी एकादशी तिथि आरंभ- गुरुवार रात 3 बजकर 18 मिनट से (29 जून 2023)
- देवशयनी एकादशी तिथि समापन- शुक्रवार रात 2 बजकर 42 पर (30 जून 2023)
- देवशयनी एकादशी व्रत का पारण का समय- दोपहर 1 बजकर 48 मिनट से 4 बजकर 36 मिनट तक (30 जून 2023)
आपको बता दें कि इस बार चातुर्मास 4 की जगह 5 महीने का रहेगा। इस साल सावन महीने में अधिकमास लग रहा है, जिससे सावन दो माह का हो जाएगा। इस तरह से भगवान विष्णु 4 माह की जगह 5 माह तक योग निद्रा में रहेंगे। चातुर्मास आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी से कार्तिक मास की देवोत्थान एकादशी (देवउठनी एकादशी) तक रहता है।
(आचार्य इंदु प्रकाश देश के जाने-माने ज्योतिषी हैं, जिन्हें वास्तु, सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का लंबा अनुभव है। इंडिया टीवी पर आप इन्हें हर सुबह 7.30 बजे भविष्यवाणी में देखते हैं।)
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