Bride Griha Pravesh: हिंदू धर्म के विवाह से कई विधियां और नियम जुड़े होते हैं। हिंदू धर्म में होने वाले सभी 16 संस्कारों में विवाह भी एक होता है। शादी के बाद जब नववधू पहली बार अपने ससुराल आती है तो धूमधाम के साथ उसका गृह प्रवेश किया जाता है। सिर्फ ससुराल पक्ष के लिए ही नहीं बल्कि नई दुल्हन के लिए भी यह पल बहुत खास होत है। क्योंकि वह अपने उस घर को छोड़कर आती है जहां उसका जन्म हुआ और बचपन बीता। शादी के बाद दुल्हन अपने पति के साथ उसके घर पर प्रवेश करती है। घर की बहू को मां लक्ष्मी का रूप माना जाता है। इसलिए शुभ मुहूर्त और विधि के साथ ही नववधू का गृह प्रवेश करना चाहिए, जिससे कि घर पर सुख-शांति और समृद्धि बनी रहे।
नववधू के गृह प्रवेश का मुहूर्त
हिंदू धर्म में सभी कार्य शुभ मुहूर्त में ही किए जाने का विधान है। नववधू का गृह प्रवेश भी शुभ मुहूर्त में ही करें। इससे वर-वधू का जीवन सुखी और सार्थक व्यतीत होता है। नववधू के गृह प्रवेश के लिए ज्योतिष के अनुसार रात का समय शुभ माना जाता है। रात में स्थिर लग्न या स्थिर नवमांश में वधू का घर पर प्रवेश शुभ माना जाता है।
नववधू के गृह प्रवेश में होने वाले नियम
कलश चावल नियम
नववधू ससुराल में प्रवेश करते समय चावल से भरे कलश को अपने दाहिने पैर से घर के भीतर गिराकर प्रवेश करती है। मान्यता है कि इससे घर पर सुख-समृद्धि बढ़ती है।
दुल्हन के पैरों के शुभ चिह्न
जिस तरह मां लक्ष्मी के चरण चिह्न घर पर शुभता के लिए बनाए जाते हैं। ठीक इसी तरह नई दुल्हन के गृह प्रवेश के समय भी आतला से उसके पैरों के निशान पूरे घर पर पड़ते हैं। इस रस्म को लेकर ऐसी मान्यता है कि बहू को घर की लक्ष्मी की तरह शुभ माना जाता है।
पूजा-पाठ
गृह प्रवेश के बाद दुल्हन सबसे पहले अपने ससुराल के कुल देवी या कुल देवता की पूजा कर आशीर्वाद लेती है।
अंगूठी ढूंढने की रस्म
पूजा-पाठ के बाद दूल्हा और दुल्हन को दूध या रंग के भरे थाली में अंगूठी ढूंढने की रस्म कराई जाती है। हालांकि यह रस्म केवल मौज-मस्ती के लिए होता है। लेकिन माना जाता है कि यदि नई दुल्हन दूल्हे से पहले अंगूठी को ढूंढ लेती है तो वह जीवनभर पर ससुराल में राज करती है।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इंडिया टीवी इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।