Eid-ul-Adha 2023: आज देशभर में बकरीद का त्यौहार मनाया जा रहा है। मुसलमानों के लिए आज का दिन विशेष महत्व रखता है। इस्लाम धर्म में बकरीद के दिन को बलिदान का प्रतीक माना जाता है। बकरीद में बकरा की कुर्बानी दी जाती है। लेकिन उससे पहले मस्जिद में जाकर बकरीद यानी ईद-उल-अजहा की नमाज की अदा की जाती है। ईद-उल-अजहा की नमाज के बाद ही बकरे की कुर्बानी दी जाती है। कुर्बानी के बकरे को तीन हिस्सों में बांटा जाता है। पहले भाग रिश्तेदारों और दोस्तों के लिए होता है, वहीं दूसरा हिस्सा गरीब, जरूरतमंदों को दिया जाता है जबकि तीसरा परिवार के लिए होता है।
दिल्ली के जामा मस्जिद समेत अन्य मस्जिदों में ईद-उल-अजहा(बकरीद) की नमाज अदा की गई। ईद-उल-अजहा के मौके पर मुंबई की माहिम दरगाह में भी लोगों ने नमाज अदा की। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, 12वें महीने जु-अल-हिज्जा की 10 तारीख को बकरीद मनाई जाती है। यह तारीख रमजान के पवित्र महीने के खत्म होने के लगभग 70 दिनों के बाद आती है।
बकरीद पर कुर्बानी का महत्व
इस्लामिक मान्यताओं के मुताबिक, पैगंबर हजरत इब्राहिम ने अल्लाह की इबादत में खुद को समर्पित कर दिया था। एक बार अल्लाह ने हजरत इब्राहिम की परीक्षा ली और उनसे उनकी कीमती चीज की कुर्बानी मांगी। तब उन्होंने अपने बेटे हजरत इस्माइल को कुर्बानी देनी चाही। लेकिन तब अल्लाह ने पैगंबर हजरत इब्राहिम के बेटे की जगह वहां एक बकरे की कुर्बानी दिलवा दी। कहते हैं कि तब से ही मुसलमानों में बकरीद पर बकरे की कुर्बानी देनी की परंपरा शुरू हुई।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। इंडियाटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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