Ayodhya 14 Kosi Parikrama: भगवान राम की नगरी अयोध्या में 14 कोसी परिक्रमा का आरंभ कार्तिक शुक्ल नवमी यानी1 नवंबर की रात से 12 बजकर 48 मिनट (भारतीय पंचांग में सूर्योदय केबाद तारीख बदलती है।) से शुरू होने वाला है। इस परिक्रमा में शामिल होने के लिए देशभर से श्रद्धालु अयोध्या पहुंचे हैं। बीते 2 सालों से कोरोना महामारी के कारण 14 कोसी परिक्रमा नहीं हो पा रही थी लेकिन इस साल नवंबर से 14 कोसी परिक्रमा की शुरुआत की जाएगी। इस परिक्रमा में लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं के जुटने की उम्मीद की जा रही है जिसके लिए तैयारियां कई दिनों से जारी हैं।
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14 कोसी परिक्रमा शुरू होने के बाद 24 घंटे चलेगी जिसमें राम नगरी अयोध्या शहर की परिक्रमा की जाती है। इसके बाद 4 नवंबर को देवोत्थानी एकादशी के मौके पर पंचकोसी परिक्रमा शुरू होगी, 5 कोसी परिक्रमा रामजन्म भूमि के चारों तरफ 5 कोस की परिधि में होती है। इसके बाद 8 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा स्नान होगा। रामनगरी की तीन परिक्रमा होती है, सबसे पहली और बड़ी परिक्रमा 84 कोस की है जिसका आरंभ चैत्र पूर्णिमा से होता है। 84 कोसी में पूरे अवध क्षेत्र की परिक्रमा की जाती है। दूसरी 14 कोसी परिक्रमा, जिसका आरंभ कार्तिक शुक्ल नवमी को होता है और तीसरी पंचकोसी परिक्रमा कार्तिक शुक्ल एकादशी को होती है।
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14 कोसी परिक्रमा की मान्यता
इस परिक्रमा के पीछे मान्यता है कि अक्षय नवमी के दिन भगवान श्री राम की नगरी की परिक्रमा करने से अगले 7 जन्मों का पुण्य प्राप्त हो जाता है। इस परिक्रमा का आयोजन परंपरा के अनुसार प्राचीनकाल से हो रहा है। माना जाता है कि इन परिक्रमाओं को करने से पञ्चतत्वों से निर्मित शरीर की शुद्धि होती है और कई जन्मों के पाप भी नष्ट हो जाते हैं।
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इंडिया टीवी इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)