Ekadashi 2024: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। खासतौर से फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी बड़ी ही महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसे आमलकी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ आंवले के वृक्ष की पूजा का विधान है। दरअसल आंवले का एक नाम आमलकी भी है और इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा की वजह से ही इस एकादशी को आमलकी एकादशी के नाम से जाना जाता है। भगवान विष्णु को आंवले का वृक्ष अत्यंत प्रिय है। इसके साथ ही काशी में फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी को रंगभरी एकादशी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन से काशी में होली का पर्वकाल आरंभ हो जाता है।
आंवले वृक्ष का धार्मिक महत्व
आंवले के हर हिस्से में भगवान का वास माना जाता है। इसके मूल, यानि जड़ में श्री विष्णु जी, तने में शिव जी और ऊपर के हिस्से में ब्रहमा जी का वास माना जाता है। साथ ही इसकी टहनियों में मुनि, देवता, पत्तों में वसु, फूलों में मरुद्गण और इसके फलों में सभी प्रजापतियों का निवास माना जाता है। कहते हैं आंवले के वृक्ष के स्मरण मात्र से ही गौ दान के समान पुण्य फल मिलता है। इसके स्पर्श से किसी भी कार्य का दो गुणा फल मिलता है, जबकि इसका फल खाने से तीन गुणा पुण्य फल प्राप्त होता है। अतः स्पष्ट है कि आंवले का वृक्ष और उससे जुड़ी हर चीज व्यक्ति को अप्रतिम लाभ पहुंचाने वाली है।
आमलकी एकादशी 2024 व्रत का शुभ मुहूर्त और पारण का समय
- फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि आरंभ- 20 मार्च को मध्य रात्रि 12 बजकर 21 मिनट से
- फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि समाप्त- 21 मार्च को सुबह 2 बजकर 22 मिनट पर
- आमलकी एकादशी व्रत तिथि- 20 मार्च 2024
- आमलकी एकादशी पूजा शुभ मुहूर्त- 20 मार्च को सुबह 6 बजकर 25 मिनट से 9 बजकर 27 मिनट तक
- एकादशी व्रत का पारण का समय- 21 मार्च को दोपहर 1 बजकर 41 मिनट से शाम 4 बजकर 07 मिनट तक
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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