Akshaya Tritiya 2024: अक्षय तृतीया क्यों मनाया जाता है? जानें इस दिन से जुड़ी पौराणिक मान्यताएं और महत्व
Akshaya Tritiya 2024: हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया का दिन काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। तो आइए जानते हैं कि आखिर यह दिन क्यों माना जाता है इतना खास।
Akshaya Tritiya 2024: आज यानी 10 मई को अक्षय तृतीया मनाई जा रही है। वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया मनाया जाता है। अक्षय तृतीया का दिन सालभर की शुभ तिथियों की श्रेणी में आता है। आज ही के दिन त्रेता युग का आरंभ भी माना जाता है। कहते हैं आज के दिन किये गये कार्यों से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है। 'न क्षय इति अक्षय' यानि जिसका कभी क्षय न हो, वह अक्षय है। लिहाजा इस दिन जो भी शुभ कार्य, पूजा पाठ या दान-पुण्य आदि किया जाता है, वो सब अक्षय हो जाता है।
शुभ कार्यों या दान-पुण्य के अलावा आज के दिन पितरों के निमित्त तर्पण और पिंडदान करने का भी महत्व है। आज के दिन पितरों के लिए घट दान, यानि जल से भरे हुए मिट्टी के बर्तन का दान जरूर करना चाहिए। गर्मी के इस मौसम में जल से भरे घट दान से पितरों को शीतलता मिलती है और आपके ऊपर उनका आशीर्वाद बना रहता है।
बता दें कि अक्षय तृतीया के दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। आज के दिन चंदन से श्री विष्णु भगवान की पूजा की जाती है। आज के दिन ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन में खुशहाली आती है और परिवार में सबके बीच आपसी सामंजस्य बना रहता है। अतः अगर आप भी अपने जीवन में खुशहाली और परिवार में सबके बीच आपसी सामंजस्य बनाये रखना चाहते हैं तो आज के दिन स्नान आदि के बाद, साफ-सुथरे वस्त्र धारण करके आपको भगवान विष्णु की विधिपूर्वक चंदन से पूजा करनी चाहिए।
अक्षय तृतीया का यह दिन क्षमाप्रार्थना का दिन माना जाता है। कहते हैं आज के दिन कोई व्यक्ति अपने या अपनों के द्वारा किये गये जाने-अनजाने गलतियों के लिए सच्चे मन से भगवान से क्षमा प्रार्थना करे, तो उसकी सारी गलतिया धुल जाती हैं और उसे भगवान से सदगुण का आशीर्वाद प्राप्त होता है। अतः जाने-अनजाने की गई अपनी गलतियों की क्षमा याचना के लिए आज का दिन बड़ा ही श्रेष्ठ है।
अक्षय तृतीया क्यों माना जाता है खास?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन ही सतयुग और त्रेतायुग की शुरुआत हुई थी। इसके अलावा वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया को परशुराम जयंती भी मनाई जाती है। माना जाता है कि इसी दिन परशुराम जी का जन्म हुआ था। आज के दिन रात्रि के प्रथम प्रहर में यानि सूर्यास्त होने के तुरंत बाद परशुराम जी की प्रतिमा की पूजा की जाती है। भारत के दक्षिणी हिस्से में इसे विशेष रूप से मनाया जाता है। इसके अलावा अक्षय तृतीया के दिन ही वृंदावन स्थित श्री बांके बिहारी जी के मंदिर में भी केवल आज अक्षय तृतीया के दिन ही श्री विग्रह के चरण दर्शन होते हैं।
वहीं इसके साथ ही आज ही के दिन उत्तराखंड में अलकनन्दा नदी के तट पर स्थित प्रसिद्ध तीर्थस्थल बद्रीनारायण के कपाट भी खुलते हैं। दरअसल नवंबर के आस- पास लगभग छः महीनों के लिए बद्रीनारायण के कपाट बंद कर दिए जाते हैं और आज अक्षय तृतीया के दिन इन कपाट को खोल दिया जाता है लेकिन आपको बता दें कि कपाट बंद रहने के दौरान भी मंदिर के अंदर अखंड ज्योति जलती रहती है।
दरअसल जिस दिन मंदिर के कपाट बंद किये जाते हैं, उसी दिन एक बड़े-से दीपक में छः महीने तक के लिए पर्याप्त घी भरकर अखंड ज्योति प्रज्ज्वलित की जाती है और उस दिन भी विशेष रूप से बद्रीनारायण भगवान की पूजा की जाती है। फिर उसके बाद भगवान की मूर्ति को मंदिर से लगभग 40 मील दूर ज्योतिर्मण के नरसिंह मंदिर में रख दिया जाता है। फिर आज अक्षय तृतीया के दिन फिर से कपाट खुलने पर मूर्ति को बद्रीनारायण मंदिर में ही वापस रख दिया जाता है। इस अवसर पर बद्रीनारायण भगवान की विशेष रूप से पूजा की जाती है और श्रद्धालुगण दूर-दूर से भगवान के दर्शन करने और अखण्ड ज्योति को देखने के लिए आते हैं।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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