Chanakya Niti: भारत के इतिहास का एक वो समय था जब यहां की भूमि में आचार्य चाणक्य ने जन्म लिया था। बचपन से ही उनकी नेतृत्व शक्ति बड़ी कुशल थी। वेद-शास्त्रों के ज्ञान को उन्होनें बहुत कम आयु में ही प्राप्त कर लीया था। उन्होनें अपनी नीतियों के दम पर एक साधारण से व्यक्ति चंद्रगुप्त को राजा बनवा दिया था। आज भी लोग उनकी नीतियों का पालन करते हैं।
चाणक्य ने मौर्य वंश को स्थापित किया था। आज हम आपको आचार्य चाणक्य की एक नीति के बारे में बताने जा रहे हैं। जिसमें उन्होनों देवताओं से भी ऊपर किसी को उपाधि दी है। उनका कहना है कि संसार में देवताओं से भी बढ़ कर एक ऐसी अनमोल चीज है। जिनका आशीर्वाद मिलना बहुत दुर्लभ है। आइए जानते हैं आचार्य चाणक्य यहां किस की बात कर रहे हैं।
आचार्य चाणक्य की नीति इस प्रकार से
नान्नोदकसमं दानं न तिथिर्द्वादशी समा। न गायत्र्याः परो मन्त्रो न मातुर्दैवतं परम् ।।
वह अपनी इस नीति में कहते हैं कि अन्न और जल के दान से बढ़ कर कोई भी दान नहीं होता। जो लोग किसी को भोजन कराने के बाद पानी पिलाते हैं। वह दान नहीं महादान कहलाता है। आगे वह कहते हैं द्वादशी तिथि से उत्तम और श्रेष्ठ कोई भी तिथि नहीं होती है। यह तिथियों में सबसे ऊपर है। फिर बात करें मंत्रों की तो उनकी नीति कहती है कि मंत्रों में गायत्री मंत्र से बढ़कर कोई और दूसरा मंत्र नहीं है।
देवताओं से भी श्रेष्ठ इनका आशीर्वाद
अपनी नीति में सबसे अनमोल बात जो आचार्य चाणक्य कहते हैं। उसमे उन्होनें बताया हैं कि देवताओं से भी बढ़ कर जीवन में मां का पद होता है। चाणक्य ने जीवन में सबसे ऊंचा दर्जा मां को दिया है। उन्होनें मां के विषय में कहा कि इनकी बराबरी पूरे संसार में कोई देवता नहीं कर सकता। इसलिए मां की पूजा से बढ़ कर इस जगत में कुछ भी नहीं है, मां की सेवा से जो फल मिलता है वह देवताओं की सेवा करने भी नहीं मिलता है। जीवन में सफल होनो के लिए मां की सेवा और आशीर्वाद सबसे ज्यादा जरूरी होता है। जो लोग अपनी मां की सेवा करते हैं वह श्रेष्ठ होते हैं। उन्हें स्वयं देवता भी आशीर्वाद देते हैं। इसलिए जीवन में मां का दिल कभी नहीं दुखाना चाहिए।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
ये भी पढ़ें-
Margashirsha Month 2023 Festival-Vrat List: इस दिन से शुरू हो रहा है मार्गशीर्ष का महीना, विवाह पंचमी से लेकर मोक्षदा एकादशी तक पड़ेंगे ये प्रमुख त्योहार
देव दिवाली के संग कार्तिक पूर्णिमा मनाने का विधान, फिर क्यों इस बार अलग-अलग मनेंगे ये पर्व, जानिए इसकी वजह