Chanakya Niti: भारतवर्ष की भूमि पर कई दार्शनिक गुरु हुए। उनमे से एक आचार्य चाणक्य भी थे। जिन्होनें अपनी नीतियों से लोगों पर काफी प्रभाव छोड़ा। आज भी लोग उनकी नीति को महत्व देते हैं। यहां तक की लोग अपनी परेशानियों का हल भी चाणक्य नीति में ढूंढते रहते हैं। बड़े-बड़े विद्धानों ने भी आचार्य चाणक्य की प्रशनसा की है। उनकी कुछ नीतियों को लोग आज भी अपनी सफलता की कूंजी मानते हैं। दार्शनिक गुरु होने के साथ ही साथ उन्होनें संपूर्ण मोर्यवंश को भी स्थापित किया था।
यहां तक की उन्होनें एक साधारण से व्यक्ति चंद्रगुप्त को राजा तक बनवा दिया था। चाणक्य की नीतियों में आज भी बहुत सी ऐसी बातें लिखी हुई हैं। जिसका पालन करने पर व्यक्ति बहुत आगे तक जा सकता है।आज हम बात करते हैं उनकी एक नीति के बारे में। जिसमे उन्होनें बताया है कि यदि मुसीबत आपके सामने आ खड़ी हो। तो उस समय क्या करना चाहिए। तो आइए जानते हैं उन्होनें इस बारे में क्या बताया है।
चाणक्य की नीति इस प्रकार से
तावद् भयेषु भेतव्यं यावद् भयमनागतम् ।
आगतं तु भयं दृष्ट्वा प्रहर्तव्यमशङ्कया।।
जीवन जीना इतना सरल तो नहीं है। आए दिन हर किसी को किसी न किसी मुश्किलों से गुजरना पड़ता है। आचार्य चाणक्य यहां अपनी इस नीति में डर के बारे में यह बताते हैं कि जब तक भय दूर है। तब तक उससे डरना चाहिए लेकिन यदि डर आपकी मुसीबत बन जाए तो उससे आपको डट कर सामना करना चाहिए। मतलब जब तक भय दूर है तब तक तो सब ठीक है। लेकिन भय के एकदम पास आने पर अगर उससे छुटकारा नहीं मिलता और वह आपको सबसे ज्यादा पीड़ा दे रहा है। तो इसके लिए आपको उस समय निडर हो कर भय से डट के सामना करना चाहिए। डर और मुश्किलों ये दोनो व्यक्ति को अंदर से खोखला कर देती हैं। इसके पास आने पर भय मन में न पालें और न ही उससे पीछे हटना चाहिए।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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