Chanakya Niti:आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति शास्त्र में जीवन व घर-परिवार को संभालने के लिए बहुत सारी जानकारी दी है। आचार्य चाणक्य ने अपने नीतिशास्त्र में उन नीतियों का भी जिक्र किया है, जो मनुष्य के अंदर अपने परिवार को चलाने के लिए होनी चाहिए। नीतिशास्त्र में घर के मुखिया के लिए कुछ ऐसी बातें भी बताई गई हैं, जो उनके लिए जरूरी होती हैं।
घर परिवार के साथ बेहतर हो रिश्ते
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि, घर के मुखिया की जिम्मेदारी होती है कि वो अपने घर परिवार के लोगों से अच्छे संबंध बनाकर रखे और हर रिश्ते का मान करे। अगर परिवार का मुखिया अपने भाई या परिवार के दूसरे लोगों से बेहतरीन संबंध नहीं बना पाया, तो घर का माहौल बहुत तनावपूर्ण हो जाता है। साथ ही घर में लोगों के बीच दरार पैदा होने लगती है और परिवार में कलह बढ़ने लगता है। जिससे घर परिवार टूट जाता है। इसलिए घर परिवार के लोगों को साथ चलने का गुण घर के मुखिया में होना चाहिए।
अन्न का अनादर न करे
आचार्य चाणक्य के अनुसार, घर के मुखिया को कभी भी अन्न की बर्बादी या उसका अनादर नहीं करना चाहिए। आपको ऐसा करते देखकर बच्चे भी अन्न का अपमान करेंगे। और आप उन्हे कभी इसकी सही सीखा नहीं दे पाएंगे। अन्न का अनादर करने से भगवान भी नाराज हो जाते हैं और इससे घर से सुख-समृद्धि दूर हो जाएगी। मुखिया को हमेशा अन्न का सम्मान करना चाहिए और दूसरे लोगों को भी यह देखना चाहिए।
फिजूलखर्ची पर लगाएं रोक
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि, परिवार के मुखिया को हमेशा तेज तर्रार होना चाहिए। उसे अपने घर परिवार और बच्चों के भविष्य की चिंता होनी चाहिए। परिवार की ज़रूरत को देखते हुए अपने फ़िज़ूलख़र्ची पर लगाम लगाना चाहिए। ताकि इससे उसके बच्चों के लिए बचत हो सके और उनकी जरूरतों की पूर्ति हो सके।
परिवार के सभी सदस्यों को दे महत्व
घर के मुखिया की जिम्मेदारी होती है कि वो अपने परिवार के सभी सदस्यों को महत्व दे और सभी छोटे-बड़े सदस्यों से लगातार बात करता रहे। जब मुखिया परिवार के लोगों से बात करेगा, तभी वह उसको अपनी समस्या बता सकेंगे और साथ बैठकर उसका हल निकालने की कोशिश करेंगे। अगर आप घर के सिर्फ कुछ लोगों को ही महत्व देंगे और उनसे बात करेंगे तो इससे आपके परिवार को टूटने से कोई नहीं बचा पायेगा।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। । इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।