Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य चन्द्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे। चाणक्य को कौटिल्य और विष्णुगुप्त नाम से भी जाना जाता है। पिता श्री चणक के बेटे होने की वजह से उन्हें चाणक्य कहा जाता था। चाणक्य ने चंद्रगुप्त को सीख देकर उन्हें राजा बनाया था, उनके पौत्र सम्राट अशोक भी चाणक्य ने शिक्षा दी थी। चाणक्य की बातें अगर आप अपने जीवन में उतार लें तो आपको दुनिया जीतने से कोई नहीं रोक सकता है।
आज हम आपको आचार्य चाणक्य की बताई एक ऐसी बात बताने वाले हैं जिससे आपको काफी कुछ सीखने को मिलेगा।
श्लोक
कुग्रामवासः कुलहीन सेवा कुभोजनं क्रोधमुखी च भार्या। पुत्रश्च मूर्खो विधवा च कन्या विनाग्निमेते प्रदहन्ति कायम्॥
इस श्लोक का अर्थ है कि अगर किसी व्यक्ति को दुष्टों के गांव में रहना पड़े, या कुलहीन लोगों की सेवा करनी पड़े, जो नहीं खाना चाहिए वो खाना पड़े, हमेशा गुस्सा करने वाली और अपशब्द बोलने वाली पत्नी हो, मूर्ख पुत्र या विधवा पुत्री है, तो व्यक्ति का शरीर बिना आग लगाए ही सदा जलता रहता है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। INDIA TV इसकी पुष्टि नहीं करता है।)