Chanakya Niti: कुत्तों के इन गुणों को अपनाकर आप भी बन सकते हैं कामयाब, तरक्की देखकर दुश्मन जलकर हो जाएंगे ख़ाक
Chanakya Niti:Chanakya Niti on Dog: आचार्य चाणक्य के अनुसार जीवन में आगे बढ़ने के लिए इंसानों को कुत्तों से इन चीज़ों को सीखना चाहिए।
Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य दुनिया के महान दार्शनिक में से एक हैं, उनके द्वारा कहे गए शब्द और वचन आज भी उतने ही सार्थक हैं। चाणक्य ने जीवन में कामयाबी हासिल करने के लिए कई रास्ते बताए हैं। वे कहते हैं कि जीवन में सफलता हासिल करनी है तो इंसान को हर किसी से कुछ न कुछ सीखते रहना चाहिए। उनके अनुसार अगर इंसान जानवर कुत्तों से इन कुछ बातों को सीख ले तो उसे आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता, आइए आपको बताते हैं आखिर वो कौन सी बाते हैं?
अपने कार्य के प्रति वफादारी
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि कुत्ता रोटी देनेवाले अपने मालिक के प्रति बहुत ज़्यादा वफादार होता है। उसकी भलाई के लिए कुत्ता अपनी जान की बाजी तक लगा देता है। वह अपने जीवन को मालिक के अनुसार ही ढाल लेता है ठीक इसी प्रकार इंसान को अपने जीवन में बन जाना चाहिए। उसे अपने काम के प्रति वफादार होना चाहिए। जो इंसान अपने काम को पूजा मानता है आगे चलकर वह एक कामयाब इंसान बनता है। आपका काम ही आपको प्रसिद्धि दिलाएगा और दुश्मन का जीना हराम करेगा।
हर वक्त चौकन्ना रहना
कुत्ता दुनिया का सबसे सजग और चौकन्ना रहने वाला जीव है। वह भी गहरी नींद में सोता है लेकिन जरा सी आहट होते ही तुरंत चौकन्ना हो जाता है। इसी तरह इंसान को भी हर पल-हल हाल में सजग रहना चाहिए। उसे भरोसा हर किसी पर करना चाहिए लेकिन सजग और सावधान होकर। अगर आप अपने अंदर ये गुण लाते हैं, तो इससे आप पर कभी कोई मुसीबत नहीं आ सकती।
हर हाल में संकट का सामना करना
कुत्ता एक बहुत बहादुरी प्राणी है। अकेले होने पर भी वह, संकट से घबराता नहीं है, बल्कि उसका सामना करता है। ठीक इसी तरह इंसानों को भी हर हाल में बड़े से बड़े संकट का सामना करने आना चाहिए। मुश्किल परिस्थितियों का सामना करने से ही इंसान अंदर से मजबूत बनता है। हम सबको भी किसी परेशानी से घबराना नहीं चाहिए और हर हाल में डटकर उसका सामना करना चाहिए।
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जीवन में संतोष रखना
चाणक्य नीति के अनुसार कुत्ता संतोषी प्रवृत्ति का जीव होता है। उसे मालिक की ओर से दिन-भर में जितना भी भोजन-पानी दे दिया जाए, वह उसमे ही संतुष्ट रहता है। इसी तरह इंसान को अपनी आवश्यकताओं और ज़रूरतों के प्रति संतोष करना चाहिए। जरूरत से ज्यादा चीजों का संग्रह करने की आदत इंसान को मानसिक तनाव से भर देती है। और आप अंदर से कमजोर हो जाते हैं। जिसका लोग गलत फायदा उठाते हैं।